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माघ मास के प्रथम मक्कर पर लोगों ने किया जलाभिषेक

संसू कुर्साकांटा (अररिया) पौराणिक ग्रन्थों में माघ मास का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 11:10 PM (IST)
माघ मास के प्रथम मक्कर पर लोगों ने किया जलाभिषेक
माघ मास के प्रथम मक्कर पर लोगों ने किया जलाभिषेक

संसू, कुर्साकांटा (अररिया): पौराणिक ग्रन्थों में माघ मास का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि माघ के महीने में जो भी भक्त पूरे श्रद्धाभाव से भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हैं वह अक्षय पुण्य का भागी बनता है। विशेष रूप से माघ मास में पड़ने वाले प्रत्येक रविवार जो मक्कर के नाम से जाना जाता है, इसदिन श्रद्धालु श्रद्धाभाव से बाबा भोले नाथ पर जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कोविड के बढ़ते जा रहे संक्रमण इसपर ग्रहण बनकर सामने आ गया है। मन्दिर में भीड़ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। बावजूद श्रद्धालुगण कोविड नियम का पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर भी जलाभिषेक किया। लेकिन अन्य वर्षों की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम देखी गयी। प्रखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध मंदिर बाबा सुन्दरनाथ शिवधाम ,मरातीपुर स्थित कुशेश्वर नाथ शिवमंदिर, कुआड़ी स्थित महा कालेश्वर मंदिर आदि विभिन्न शिवालयों में लोगों ने श्रद्धाभाव से जलाभिषेक किया। चहुंओर जय भोले नाथ, ऊं नम: शिवाय की जयघोष दिनभर गूंजते रहे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आस्था और बिस्वास सारे प्रतिबन्ध पर भारी पड़ रहे थे। लेकिन मन्दिर कमेटी के सदस्य इसबात का ख्याल रख रहे थे कोविड गाइड लाइन का पालन होना चाहिए। श्रद्धालुओं को प्राप्त निर्देश का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

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संसू, रेणुग्राम के अनुसार

माघ माह के पहले मक्कर को लेकर रविवार को विभिन्न पूजा स्थलों में श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना को लेकर कोरोना प्रोटोकाल का भी ख्याल लोगों ने रखा। वही इसको लेकर क्षेत्र के सिमराहा, तिरसकुंड, बारा, बेलई, घोड़ाघाट, अम्हारा, केवलासी, रमई, बलुआ सहित अन्य शिव मंदिरों में सुबह से ही लोग क्रमबद्ध तरीके से जलाभिषेक किया। इसमें बड़ी संख्या में बच्चें व महिला शामिल थी।


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