सीमा सड़क निर्माण कार्य अधर में, सरकारी पेंच में फंसा मुआवजा की राशि
अररिया। नरपतगंज प्रखंड में भारत - नेपाल सीमा क्षेत्र के सड़क निर्माण कार्य सरकारी सिस्टम के
अररिया। नरपतगंज प्रखंड में भारत - नेपाल सीमा क्षेत्र के सड़क निर्माण कार्य सरकारी सिस्टम के पेंच में फंसकर दम तोड़ता हुआ प्रतीत हो रहा है। भू माफिया और भ्रष्ट सरकारी कर्मियों द्वारा कृषि योग्य भूमि को आवासीय बताकर अवैध निकासी का मामला सुर्खियों में आने के कारण सड़क निर्माण कार्य अधर में लटक गया है। कहीं यह मामला देश विरोधी तत्वों की साजिश तो नहीं है ऐसी चर्चा आम हो रही है। दो देशों को जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण सड़क निर्माण कार्य रुकने के कारण भारत देश अर्थ व्यवस्था को कमजोर करने की कोई साजिश तो नहीं है। क्योंकि इन दिनों चीन के साथ भारत की कटुता को भी इस कड़ी से भी जोड़ा जा सकता है। यदि दो देशो के बीच जंग की नौबत आ गई तो सीमा सड़क की जर्जर दशा से देश के लिए कठिनाइयों का सबब बन सकता है। इस मायने से सीमा क्षेत्र सड़क निर्माण में शामिल लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए।
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- रोड़ों का हुआ है खेल
जानकारों की मानें तो कृषि योग्य भूमि को आवासीय बताकर भूमाफिया और भ्रष्ट सरकारी कर्मियों ने करोड़ों सरकारी रूपए की बंदबांट कर दिया। ऐसे कई माफिया जो रातों रात भिखारी से करोड़पति बन गए। वहीं कई भ्रष्ट कर्मी भी मालामाल हो गए हैं। नरपतगंज प्रखंड के बेला, बसमतिया, बबुआन, पथराहा, मानिकपुर, नवाबगंज एवं सोनापुर आदि के आठ से दस हजार रुपये प्रति डिसमिल की दर से बिक्री होने वाली जमीन को आवासीय बताकर भू माफिया व सरकारी कर्मियों की सांठगाठ से लाखों रुपये का गोलमाल किया गया। मामला जब डीएम हिमांशु शर्मा के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच कराई तो कई चौकाने तथ्यों का खुलासा हुआ। करीब डाई सौ खाते को सीज कर दिया। अब स्थल जांच के बाद ही राशि निकासी का फरमान जारी कर दिया। जिसके बाद से सीमा सड़क निर्माण कार्य रूक गया है। इस खेल में शामिल भूअजर्न विभाग के एक प्रधान सहायक के विरुद्ध निलंबन कार्रवाई और करीब आठ करोड़ राशि की रिकवरी भी कराई गई। लेकिन अभी भी इस खेल के माहिर खिलाड़ी व सर्वे टीम के सदस्यों के विरुद्ध किसी स्तर की कार्रवाई नहीं होना कई सवाल खड़ा कर रहा है। युवा शक्ति के जिलाध्यक्ष ¨प्रस विक्टर का कहना है कि सीमावर्ती सड़क निर्माण देश की सुरक्षा के ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसमें बाधा उत्पन्न करने वाले देश द्रोही से कम नहीं माना जाना चाहिए। सरकारी राशि का बंदरबांट करने वाले और सड़क निर्माण में बाधा उत्पन्न करने वालों के विरुद्ध देश द्रोह का मुकदमा चलना ही चाहिए। इस गोरख धंधे में कई सफेद पोश भी शामिल है।
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कोट - इस संबंध में उनके पास कोई अभिलेख पूर्व सीओ द्वारा नहीं दिया गया है। जिसकारण इस पूरे मामले से अनभिज्ञ हैं। कितने अधिग्रहण भूमि में हेराफेरी हुई है यह बताना अभी संभव नहीं है।
निशांत कुमार, सीओ नरपतगंज