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मधुश्रावणी पूजा आज से, नवविवाहितों में उत्साह

संतोष कुमार झा ताराबाड़ी (अररिया) सावन महीने के कृष्णपक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष त

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 10:28 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 10:28 PM (IST)
मधुश्रावणी पूजा आज से, नवविवाहितों में उत्साह
मधुश्रावणी पूजा आज से, नवविवाहितों में उत्साह

संतोष कुमार झा, ताराबाड़ी (अररिया): सावन महीने के कृष्णपक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष तृतीय को सम्पन्न होने वाली मिथिला व लोक संस्कृति एवं भक्ति का पर्व मधुश्रावणी पूजन बुधवार से शुरू होगा। नव विवाहिताओं में विधि-विधान व श्रद्धापूर्वक प्रारंभ होने वाली इस पर्व को लेकर महिलाओं में खुशी का माहौल व्याप्त है। इस वर्ष 15 दिनों तक मधुश्रावणी पर्व का संयोग है। पूजन की पूर्व संध्या मंगलवार को व्रती महिलाएं दिनभर तैयारी में जुटी रहीं साथ ही सहेलियों के साथ खुशनुमा माहौल में मेंहदी लगवाने की रस्म भी अदा की गई। विदित हो कि नव विवाहित महिलाएं प्रात: ब्रम्हमुहूर्त में पवित्र गंगा जल से स्नान करने के बाद पूजा पर बैठेंगी। शुभारंभ के दिन पृथ्वी जन्म व नाग- नागिन की कथा वाचन की पुरानी परंपरा है, जिसे नवविवाहिता द्वारा दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए कथा श्रवण की जाती है। क्या कहती हैं नव विवाहिताएं:

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नवविवाहित महिलाओं में मोनी देवी, ललिता कुमारी, नीलम कुमारी, कृष्णा कुमारी, पिकी मिश्रा, प्रीति कुमारी आदि ने बताया कि मधुश्रावणी पूजन एक तपस्या के समान है। इस पूजन के शुरूआत से समापन तक नव विवाहित महिलाएं प्रतिदिन एक बार अरवा व शुद्ध शाकाहारी भोजन करती है। इसके साथ ही नाग-नागिन, हाथी, गौरी, शिव आदि का प्रतिमा बना कर प्रतिदिन कई प्रकार के फूलों से पूजा तथा फल व मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। साथ ही सुबह शाम नाग देवता को दूध लावा का भोग लगाया जाता है।

कन्या व वर पक्ष के सहयोग से होती है पूजा:

इस पूजन में मायके तथा ससुराल दोनों पक्षों का सहयोग आवश्यक होता है। पूजन करने वाली व्रती महिलाएं ससुराल पक्ष से प्राप्त नए वस्त्र धारण कर निष्ठा व पवित्रता के साथ पूजन की विधि को पूर्ण करती है। पूजा का है विशेष महत्व:

मधुश्रावणी पूजन का दांपत्य जीवन में काफी महत्व माना जाता है। इसके महत्व को बताते हुए पंडित अरुण कुमार झा ने बताया कि नवविवाहित महिलाएं पति के दीर्घायु तथा सुख शांति के लिए मधुश्रावणी पूजन करती हैं। पूजन के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, पतिव्रता, महादेव कथा, गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा,बिहुला कथा तथा बाल बसंत कथा सहित 14 खंडो में कथा का श्रवण करती है। यह पर्व पवित्रता व सुखमय जीवन जीने की एक पाठशाला है। सच्चे मन से पूजन करने वाली व्रती महिलाएं की सर्वमनोकामनाएं पूर्ण होती है।


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