पशु तस्करों के गढ़ बन गया नरपतगंज के सीमा से सटे फुलकाहा एवं घुरना
नोट- इसी के साथ एसटीवाई सात नंबर भी लगा दें फोटो संख्या 18 मवेशियों की तस्करी सीमा क्षेत्र
नोट- इसी के साथ एसटीवाई सात नंबर भी लगा दें
फोटो संख्या 18
मवेशियों की तस्करी सीमा क्षेत्र के लिए है पुराना धंधा, सीमा पर तैनात एसएसबी व पुलिस कर्मी से बचकर इस कर रहे हैं। काम संसू, फुलकाहा (अररिया): नरपतगंज प्रखंड के भारत नेपाल सीमा से सटे फुलकाहा एवं घुरना थाना क्षेत्र एवं बसमतिया ओपी क्षेत्र से होकर इन दिनों बड़े पैमाने पर बैल एवं भैस की तस्करी हो रही है। मवेशियों की तस्करी सीमा क्षेत्र के लिए पुराना धंधा है। सीमा पर तैनात एसएसबी व पुलिस कर्मी से बचकर इस काम को कर रहे हैं। हाल के कुछ माह में पशु तस्करी को रोकने की पहल का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आने के ग्रामीण आश्चर्यचकित है।
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इन रास्तों से होती है पशु तस्करी - फुलकाहा थाना क्षेत्र के कोशिकापुर, मानिकपुर, भोड़हर एवं नवाबगंज तथा घुरना थाना क्षेत्र के पथराहा, डूमरबन्न घुरना,पथराहा, बबुआन मेन रोड तथा सुरसर नदी बांध के रास्ते नेपाल में भारतीय क्षेत्र के भैंस भेजे जाते हैं। जबकि इन्हीं रास्तों से नेपाल से तस्करी के माध्यम से बैल भारतीय क्षेत्र में लाया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल के बैल को सर्वप्रथम नेपाल के सुनसरी जिला के देवानगंज थाना क्षेत्र के कप्तानगंज, शंकरपुर, साहेबगंज एवं घुसकी के ठिकानों पर रखा जाता है। बाद में रात के अंधेरे में लाइन मायनेज कर नरपतगंज के चंदा नहर एवं मधुरा उत्तर नहर के साइफन पर पहले से तैयार वाहन में लोड करके अन्यत्र भेजा जाता है। इसी तरह फुलकाहा थाना क्षेत्र के नवाबगंज, अमरोरी, मानिकपुर एवं भोड़हर के पशु तस्कर यहां के कमजोर भैंसो को सस्ते दामों में खरीद कर रातों रात सीमा पार कराने के बाद नेपाल के इन्हीं ठिकानों पर रखकर उसे वाहनों में लोड करके नेपाल के अंयत्र जगहों पर भेजते हैं। तस्कर बैलों को भारतीय क्षेत्र लाकर अररिया जोकीहाट किशनगंज के रास्ते बंगाल देश के सीमा से सटे जयगांव स्थित मांस फेक्ट्री में बेचते हैं। यहां यह काम दलालों के माध्यम से होता है। जबकि भैंसों को नेपाल के मोरंग जिला के विराटनगर एवं सुनसरी जिला के इनरुआ स्थित मांस फैक्ट्री में बेचा जाता है।
---------- कैसे होती है सीमा क्षेत्र में पशु तस्करी मायनेज - सूत्र बताते हैं कि घुरना के पथराहा गांव एवं फुलकाहा का भोड़हर, घूरना पथराहा, कोशिकापुर अमरोरी मानिकपुर एवं नवाबगंज में पशु तस्करों का बड़ा गिरोह काम कर रहा है। इस काम में कुछेक खाकी वर्दी वाले को मायनेज करते हैं। यह मायनेज प्रतिमाह लाखों रुपये में होता है।
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क्या कहते हैं अधिकारी - एसएसबी 56 वीं वाहिनी के सेनानायक मुकेश सिंह मुंडा कहते हैं कि पूर्व में पशु तस्करी खूब होती थी कितु कई बार एसएसबी द्वारा पशु धन को जब्त किए जाने के बाद पशु तस्करों का मनोबल पस्त हो गया है। सीमा क्षेत्र में एसएसबी जवान पूरी तरह सजग और चौकस है यदि किसी कर्मी द्वारा मायनेज की बात सामने आई तो इस पर कड़ी कारवाई होगी। तस्करी पर पूर्ण पाबंदी एसएसबी के उद्देश्य में शामिल है। पशु तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए एसएसबी जवान सीमा पर 24 घंटा गश्ती करते हैं।
------- केस स्टडी01 एक सप्ताह पूर्व नरपतगंज के घूरना एसएसबी ने नेपाल से भारतीय क्षेत्र लाए जा रहे तस्करी का 18 बैल को जब्त किया था। इस मामले में पांच तस्कर पर कार्रवाई की गई है। -------
केस स्टडी 02
बीते 15 दिन पूर्व फुलकाहा एसएसबी के जवानों ने तस्करी का चार बैल को जब्त किया है। केस स्टडी 03 -
11 अक्टूबर को तस्करी का ग्यारह भैस को एसएसबी ने जब्त किया था। केस स्टडी 04-
सितंबर माह में चार बैल एक तस्कर को फुलकाहा एसएसबी ने जब्त किया था।
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केस स्टडी 05--
2021 नवंबर माह में पांच बैल को एसएसबी ने जब्त किया था।