Move to Jagran APP

पंचायत चुनाव में चलेगा जाति कार्ड या रहेगा विकास का मुद्दा

संसू सिकटी (अररिया) पंचायत चुनाव के संभावित उम्मीदवार हर तरह के पैंतरे अपना रहे है

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 11:42 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 11:42 PM (IST)
पंचायत चुनाव में चलेगा जाति कार्ड या रहेगा विकास का मुद्दा
पंचायत चुनाव में चलेगा जाति कार्ड या रहेगा विकास का मुद्दा

संसू, सिकटी, (अररिया): पंचायत चुनाव के संभावित उम्मीदवार हर तरह के पैंतरे अपना रहे है। वोट के लिए कोई मतदाताओं को पुरानी दोस्ती की याद दिला रहे हैं तो कोई एक बार और मौका देने की दुहाई दें रहे हैं। वहीं जागरूक मतदाता सभी प्रत्याशियों को बातों को सुन उनके द्वारा किए वादा और इरादा को भांप रहे हैं। इधर आयोग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार अररिया जिले के सभी प्रखंडों में अलग-अलग चरण के हिसाब से चुनाव कार्य संपादित किया जा रहा है। दूसरे प्रखंड के चुनाव नतीजों को देख सभी नए और पुराने प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं। विभिन्न पदों के सभी संभावित उम्मीदवार साम, दाम, दंड, भेद पर चलकर हर हाल में कुर्सी पर काबिज होने को आतुर हैं। चुनाव की तिथि जैसे-जैसे निकट आ रही है, सीमावर्ती क्षेत्र के पंचायतों में अभी से ही जातीय बिसात बिछने लगी है। मतदाता अपने-अपने जाति के पक्ष में गोलबंद होने लगे हैं। यहां तक कि एक ही पद के लिए एक ही जाति से दो या दो से अधिक उम्मीदवार द्वारा दावा ठोंके जाने पर उनमें से किसी एक को ही चुनावी मैदान में रहने को ले प्रयास किए जा रहे हैं।

loksabha election banner

इसके अलावा अपनी जाति के उम्मीदवार को जिताने के लिए अन्य जातियों से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। दरअसल पंचायत जैसे छोटे निकाय चुनाव में भी जातीय समीकरण पैठ बना ही लेता है। पंचायतों में लोग जातीय आधार पर अभी से ही गोलबंद होने लगे हैं। अपनी जाति के लोगों को पंचायत का प्रतिनिधित्व सौंपने को ले तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगे हैं।

---दूसरे प्रत्याशी को मनाने ़का हो रहा प्रयास - एक को मुखिया पद चाहिए तो दूसरे को सरपंच की सेटिग हो रही है। यदि उम्मीदवार ज्यादा दिख रहे हैं तो उसकी सेटिग का खेल चल रहा है। पैंतरे के आधार पर सीट का बंटवारा कार्य जारी है। कितने संभावित उम्मीदवार तो दूसरे उम्मीदवार को हराने तथा राशि उगाही को लेकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। यदि किसी एक जाति के लोगों को मुखिया की कुर्सी चाहिए तो वे अन्य जाति के लोगों को अन्य पद देने को तैयार हो रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि यदि यह गोटी फिट हो जाती है तो फिर उनकी जीत पक्की हो जाएगी। इधर दूसरे खेमों में भी ऐसे ही समीकरण बना चुनावी नैया को पार करने में संभावित उम्मीदवार लगे हुए हैं।

--विकास के मुद्दे हुए गौण-- पिछले चुनाव की भांति इस बार भी पंचायत चुनाव में जातीय समीकरण अन्य मुद्दों पर हावी होते दिख रहा हैं। जातीय समीकरण के आगे विकास समेत अन्य कई मूलभूत मुद्दे गौण होते दिख रहे हैं। गांव की चौपाल से लेकर चाय-पान की दुकानों पर जीत-हार का हिसाब जातीय समीकरण से ही हल हो रहा है। किस जात के कितने वोट हैं और उन्हें अन्य किस जाति के लोगों से समन्वय स्थापित हो रहा है आदि बातों की चर्चा जोरों पर है।

---बदला जां रहा हवा का रुख--चुनावी समर में जातीय समीकरण को पुरी प्लानिग के साथ हवा दी जा रही है। कुछ मठाधीश जाति को हवा देकर चुनावी नैया को पार लगाना चाहते हैं। उन्हें लग रहा है कि जाति के लोग जितने गोलबंद होंगे उसका लाभ उन्हें चुनाव में मिलेगा। फिलहाल जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जाएगी जातीय गोलबंदी बढ़ती जाएगी। वही जागरूक व शिक्षित मतदाताओं ़का मानना है कि इस बार ़का चुनाव पुरी तरह हाईटेक है, जनता विकास के मुद्दे पर वोट करेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.