लोस चुनाव: एनडीए के उम्मीदवार को लेकर घटक दलों में बेताबी
- अररिया लोकसभा क्षेत्र में लोग लगा रहे हैं अपने अपने स्तर से उम्मीदवार का अनुमान - एनडीए के
- अररिया लोकसभा क्षेत्र में लोग लगा रहे हैं अपने अपने स्तर से उम्मीदवार का अनुमान
- एनडीए के प्रत्याशी को लेकर नहीं छटे हैं धुंध
ज्योतिष झा, जोकीहाट, (अररिया): लोकसभा चुनाव की तिथि निर्धारित होते हीं आम और खास लोगों के जुबान पर चुनावी चर्चा होने लगी है। चुनाव आयोग ने अररिया लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान 23 अप्रैल को कराने की घोषणा की है। लेकिन एनडीए गठबंधन के किस घटक दल अररिया से चुनाव मैदान में उतरेंगे यह अबतक स्पष्ट नहीं हो सका है। जहां राजद महागठबंधन से वर्तमान सांसद सरफराज आलम की उम्मीदवारी तय है वहीं एनडीए गठबंधन की ओर से ना तो पार्टी का खुलासा हुआ है और ना ही उम्मीदवार का चेहरा सामने आया है। ऐसी स्थिति में पार्टी समर्थक से लेकर जिले के वोटरों में भी उहापोह की स्थिति बनी है। लोग जानने को बेताब हैं कि आखिर एनडीए गठबंधन के किस पार्टी के उम्मीदवार चुनावी मैदान में होंगे। हालांकि प्रत्याशियों की लंबी फेहरिस्त है । किस उम्मीदवार की झोली में टिकट होगा यह तो घोषणा के बाद ही पता चलेगा। लेकिन सपने देखने वाले प्रत्याशियों की कमी नजर नहीं आ रही है। भाजपा समर्थकों का कहना है कि सीट भाजपा की झोली में हीं जाएगी। लेकिन प्रत्याशी जो भी होंगे पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरेंगे। एनडीए के किसी अन्य घटक को भी टिकट मिलेगा तो भी भाजपा कार्यकर्ता पूरी एकजुटता के साथ काम करेंगे। उधर जदयू ,लोजपा के भी कई प्रत्याशी कमर कस कर टिकट लेकर मैदान में उतरने की ताल ठोक रहे हैं। एनडीए में पूर्व सांसद प्रदीप सिंह, सैयद शाहनवाज हुसैन, शगुफ्ता अजीम, सिकटी के भाजपा विधायक विजय मंडल, लोजपा नेता अजय कुमार झा, कमल नारायण यादव, जनार्दन यादव, अजय भगत आदि टिकट की चाहत में पटना से लेकर दिल्ली तक आलाधिकारियों के संपर्क में जुटे हैं। उधर राजद गठबंधन में भी एनडीए प्रत्याशी को लेकर नजर रखी जा रही है। आखिर एनडीए का उम्मीदवार कौन होगा। उनके विरुद्ध चुनावी मैदान में उतरने की क्या रणनीति होगी, क्या समीकरण होगा। महागठबंधन दल के एक नेता ने बताया कि समीकरण कोई मायने नहीं रखता है। पिछले कई चुनावों में जातीय समीकरण का भी बड़ा प्रभाव रहा है लेकिन इस बार महागठबंध को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन अंदर हीं अंदर महागठबंधन हो या एनडीए दोनों तरफ प्रत्याशी की घोषणा नहीं होने से बेताबी नजर आ रही है। उम्मीदवार कौन होंगे फिलहाल इन बातों को गुप्त रखा गया है। लेकिन चौक चौराहों पर जितने लोग उतनी बातें हो रही है। चुनावी बिगुल बजते हीं गांव से लेकर शहर तक के लोग चुनावी मोड में आ गए हैं क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व से कोई भी अछूता नहीं रह सकते। देश और समाज निर्माण में जनप्रतिनिधियों का चयन खासा मायने रखता है।