शक्ति रूपेण संस्थिता
कैप्शन नरपतगंज दुर्गा माता मंदिर मंदिर का पुजारी शशिकांत झा मंदिर कमिटी के अध्यक्ष प्रल
कैप्शन: नरपतगंज दुर्गा माता मंदिर, मंदिर का पुजारी शशिकांत झा, मंदिर कमिटी के अध्यक्ष प्रलयंकर सिंह उर्फ गब्बर सिंह
नरपतगंज प्रखंड मुख्यालय से सटे पुरानी बाजार स्थित सार्वजनिक वैष्णवी दुर्गा माता मंदिर का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1934 में यहां टीन के घर में पहली बार शारदीय नवरात्रि की पूजा हुई थी। मां की अपरंपार शक्ति की मुरीद हुए श्रद्धालुओं की आस्था दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। देवी की कृपा से समाज भी शांति एवं सछ्वाव के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता गया। जिसका फलाफल है कि आज यह मंदिर अपना भव्य रुप ले चुका है। तब से लेकर अब तक निरंतर मंदिर का विकास हो रहा है।
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मंदिर का इतिहास-
क्षेत्र के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि वर्ष 1934 में डॉ. अश्वनी कुमार चटर्जी के बगल में करीब पांच कट्ठा सरकारी जमीन पर स्टेट बैंक नरपतगंज के तत्कालीन शाखा प्रबंधक सत्येंद्र मोहन चौधरी एवं डॉक्टर चटर्जी ने मिलकर यहां दुर्गा माता मंदिर की नींव रखी थी। उस समय टीन व खपड़े के मकान में फोटो रखकर पूजा शुरू की गई थी। बाद में मां दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना शुरू हुई। गणमान्य ग्रामीणों के सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। टीन का घर 2017 में गुंबजनुमा मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया है। वर्तमान में यह भव्य भवन के रूप में परिवर्तित हो गया है। अब इस मंदिर का आकार बड़ा हो गया है अब यह पक्के गुंबज नुमा मंदिर में परिवर्तित है। यहां संगमरमर की दुर्गा प्रतिमा स्थापित की गई है।
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विशेषता -
नवरात्र पूजा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पिछले वर्ष मंदिर परिसर में शिव मंदिर एवं बजरंगबली प्रतिमा की स्थापना हुई है।शारदीय नवरात्र में यहां भव्य मेला लगता है जिसे देखने के लिए पड़ोसी देश नेपाल एवं पड़ोसी जिला सुपौल से लोग समेत भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर में दशमी के मौके पर प्रतिवर्ष रावण वध होता है इस अवसर पर यहां सांसद,विधायक, डीएसपी एवं कई पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि व गणमान्य लोग मौजूद रहते हैं।
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रलयंकर सिंह उर्फ गब्बर सिंह ने बताया की दुर्गा मंदिर की शाखा में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है । वर्तमान में यहां के ग्रामीणों एवं व्यवसायियों की मदद से पंडाल व पूजा पाठ की आयोजन ने लाखों रुपये खर्च करके मंदिर की भव्यवता को प्रदान किया है। मां की मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास है जो भी भक्त यहा सच्चे मन से मन्नतें मांगता है। वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। मां जगदम्बे का आशीर्वाद उसे जरूर मिलता है। प्रखंड मुख्यालय स्थित बाजार में मंदिर होने की वजह से यहां दुर्गापूजा के मौके पर कलश स्थापना से विजयादशमी तक हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यही कारण है कि मन्नते मांगने वालों की यहां लंबी कतार लग रही है। इस मंदिर कमिटी में सचिव धीरेंद्र यादव, कोषाध्यक्ष राजनारायण राजू, सह सचिव विजय सिंह, महेश्वरी यादव, शिवनारायण मंडल, राजेंद्र साह, रामेश्वर भगत, सुरेश सिंह, अनिल भगत, बौआ भगत, राजू मंडल आदि के अथक प्रयास से मंदिर का भव्य निर्माण करवाकर पूजा पाठ किया जा रहा है।
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क्या कहते हैं पुजारी-
मंदिर के वर्तमान पुजारी शशिकांत झा बताते हैं कि यहां मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर की महिमा अपरंपार है। ऐसी मान्यताएं है कि यहां सच्चे मन से मां के दरबार में मन्नत्ते मांगने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं। इस मंदिर में नवरात्र के अलावा भी अन्य दिन यहां पूजा के लिए भक्त पहुंचते हैं। प्रत्येक दिन सुबह शाम समाज के लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं। संध्या में समाज की दर्जनों महिलाएं पुरुष सामूहिक रुप से देवी की आरती करती हैं। उस समय का नजारा देखते ही बनती है। यहां दूर दराज से श्रद्धालु मन्नतें मांगने आते हैं। नवरात्र में पूजा अर्चना करने वालों की काफी भीड़ लगती है लोगों में मां वैष्णवी दुर्गा मंदिर के प्रति काफी आस्था है। यह मंदिर अपने आप में बेमिसाल है। कई वर्षों से भक्तों के आकर्षण का केंद्र बिदु बना हुआ है।