सरकार के कार्यों की खेत-खलिहानों में हो रही पड़ताल ------वोट यात्रा--- महासमर
फोटो नंबर 15 एआरआर 253-- 13 -ब्लर्ब दलित का पैर पैखारने वाला प्रधानमंत्री गरीबों के घर
फोटो नंबर 15 एआरआर 253-- 13
-ब्लर्ब: दलित का पैर पैखारने वाला प्रधानमंत्री, गरीबों के घरों में शौचालय, लकड़ी के चूल्हों से मुक्त, गरीब परिवारों को पांच-पांच लाख का बीमा व
राजद सुप्रीमो लालू को जेल पर गांवों में चर्चा चल रही है.
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जेएनएन, अररिया: अररिया में 23 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर स्थानीय, राज्य स्तरीय तथा देशस्तरीय मुद्दों को लेकर
चौपाल में जोरदार बहस चल रही हैं। फारबिसगंज प्रखंड के डोरिया ग्राम पंचायतों के किसानों के बीच में खेतों में लगी फसल की सिचाई को लेकर विद्युतीकरण और 1987 में आई बाढ़ के बाद नहर का पानी खेतों में नहीं पहुंचने की चर्चा है। दो वर्ष पहले खेतों में लगी फसलों की सिचाई को लेकर पोल गाड़ने को लेकर सर्वे और आज तक पोल गाड़ने का कार्य नहीं शुरू होने पर बहस छिड़ी हुई है। वहीं पोठिया ग्राम पंचायत के वार्ड तीन, जो यादव और अल्पसंख्यकों का गढ़ हैं, वहां पर अप्रैल महीने में सौ अल्पसंख्यकों का रोजगार को लेकर पलायन के अलावा दलित का पैर पैखारने वाला प्रधानमंत्री की चर्चा है। गरीबों के घरों में शौचालय सुलभ कराने, लकड़ी के चूल्हों से मुक्ति पर भी बहस चल रही है। गरीब परिवारों को पांच-पांच लाख का बीमा भी चर्चा में है। इसके अलावा
राजद सुप्रिमो लालू को जेल भेजें जाने को भी लेकर लोग गंभीर हैं। स्कूलों में कार्यरत रसोइयों की बीच में गरीबी की चर्चा है। बिजली के कनेक्शन को लेकर 12 सौ रुपये की मांग की चर्चा है। बीए में बेटी की नामांकन कराने के लिए पांच रुपये की जुआड़ करने की भी चर्चा है।
वहीं, सिकटी प्रखंड के बूथ संख्या 103,106 तथा 108 बाढ़ के दंश पर बहस चल रही है। बकरा नदी के किनारे बसे इन मतदाताओं को तटबंध की जरुरत है। इसके बावजूद चर्चा हैं कि एक स्थिर सरकार की जरूरत है।
-----------कोट--------
-घर -घर में बिजली नहीं पहुंची है। बैंकों में बिना घूस के काम नहीं हो रहा है। फिलहाल कोई भी सरकार सबों को खुश नहीं रख सकती ।
-सुनील कुमार ठाकुर, उफरैल सिकटी।
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-समस्याओं की भरमार है। सरकार के प्रयास की चर्चा चारों तरफ हो रही है। खेतों में जिन दिन बिजली पहुंच जाएगी, उस दिन किसान खुशहाल हो जाएगा। फिलहाल खेतों तक पोल पहुंचाने का सर्वे दो वर्ष पहले हो चुका है। एक वर्ष पहले शिविर में आवेदन लिया गया है लेकिन पोल गड़ना शुरू नहीं हुआ है।
-मुर्शिद आलम, पैक्स अध्यक्ष हड़ियाबाड़ा।
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सन 1987 में डोरिया सोनापुर में नहर का फाटक पुल सहित ध्वस्त हो गया था। तीन वर्ष पहले फिर नहर पर फाटक बना है लेकिन फाटक लेबल इतना नीचे कर दिया गया है कि नहर का पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है। जिससे दो हजार से अधिक किसान प्रभावित हैं।
-मो. तालिब, किसान डोरिया सोनापुर।