प्रकृति की ओर लौटने का संदेश देती हैं पंत की कविताएं : हर्ष नारायण दास
अररिया। सुमित्र्रानंद पंत की कविताएं प्रकृति की ओर लौटने का संदेश देती हैं। यह उद्गार
अररिया। सुमित्र्रानंद पंत की कविताएं प्रकृति की ओर लौटने का संदेश देती हैं। यह उद्गार प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती के अवसर पर सोमवार को हर्षनारायण दास ने कही। पंत के कृतित्व को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पंत जी हमें अंग्रेजी कवि वड़्सवर्थ का स्मरण भी कराते है। जिन्होंने मानव को प्रकृति की ओर लौटने की प्रेरणा दी है।
इंद्रधनुष साहित्य परिषद् द्वारा द्विजदेनी उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता कर्नल अजित दत्त और संचालन विनोद कुमार तिवारी ने किया। शुभारंभ में पंत के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित करने के पश्चात कर्नल दत्त, मांगन मिश्र मार्तण्ड, उमाकांत दास और हेमंत यादव शशि ने बताया कि छायावादी कवि पंत का जन्म मई, 1900 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले के कौसानी में हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर घर से ही संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला भाषाओं के साहित्य का गहन अध्ययन किया। इनकी प्रथम रचना सरस्वती में प्रकाशित हुई थी। वहीं हशमत सिद्दीकी, बेगाना सारणवी और महेंद्र नाथ झा ने कहा कि वे कला और संस्कृति के उपासक, ऋषि अर¨वद केजरीवाल दर्शन से प्रभावित आधुनिक ¨हदी काव्य को नई छंद तथा दृष्टि प्रदान करने वाले सौंदर्य और प्रकृति प्रेमी थे। साथ ही उनकी रचनाओं में मानवीय भावनाएं भी दृष्टिगोचर होती हैं। जैसे नौका विहार और परिवर्तन। मौके पर बलराम बनर्जी, नकुल डे, कृत्यानंद राय, शिवनारायण चौधरी, दीनानाथ उपाध्याय, अर¨वद ठाकुर, राजनारायण प्रसाद, सच्चिदानंद ¨सह आदि भी उपस्थित थे।