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ऑटो सेक्टर में मंदी से टायर इंडस्ट्री पर गहराया संकट, खतरे में नौकरियां

रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 में डिमांड में कमी आने के चलते टायर इंडस्ट्री की अनुमानित रेवेन्यू ग्रोथ रेट में 3 से 4 फीसद की गिरावट देखी जा सकती है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 04:45 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 04:45 PM (IST)
ऑटो सेक्टर में मंदी से टायर इंडस्ट्री पर गहराया संकट, खतरे में नौकरियां
ऑटो सेक्टर में मंदी से टायर इंडस्ट्री पर गहराया संकट, खतरे में नौकरियां

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। ऑटो सेक्टर में मंदी से सिर्फ वाहनों की बिक्री में ही गिरावट नहीं आई है, बल्कि इसके चलते अब टायर इंडस्ट्री पर भी संकट मंडरा रहा है। रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2019-20 में डिमांड में कमी आने के चलते टायर इंडस्ट्री की अनुमानित रेवेन्यू ग्रोथ रेट में 3 से 4 फीसद की गिरावट देखी जा सकती है। बता दें, 2020 से 2024 तक टायर इंडस्ट्री की रेवेन्यू ग्रोथ रेट 6 से 8 फीसद रहने का अनुमान जताया गया था। ऐसे में एक ओर ऑटो इंडस्ट्री में अस्थायी रूप से काम कर रहे लोगों की छंटनी का असर अब टायर इंडस्ट्री पर भी पड़ सकता है।

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वित्त वर्ष 2018 में रेवेन्यू ग्रोथ रेट 12 फीसद रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह 14 फीसद रहा था। हालांकि, अब वित्त वर्ष 2020 के लिए वॉल्यूम के स्तर पर घरेलू बाजार में टायर डिमांड 3 से 4 फीसद रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले 6.7 फीसद ही था। रिप्लेसमेंट सेगमेंट, जो इंडस्ट्री के 55 फीसद सेस अधिक का प्रतिनिधित्व करता है, वित्त वर्ष 2020 में 5 से 6 फीसद बढ़ने की संभावना है, जबकि मूल उपकरण (OE) सेगमेंट में मांग में वृद्धि 2 से 3 फीसद लेवल पर आंकी गई है। इससे परे, वित्त वर्ष 2015-24 के दौरान घरेलू टायर की मांग 6 से 8 फीसद बढ़ने की उम्मीद है।

ICRA के मुताबिक शुद्ध मार्जिन भी ब्याज लागत में वृद्धि से प्रभावित होगा। टायर निर्माताओं की घोषणा के आधार पर इंडस्ट्री रुपये से अधिक का निवेश कर रहा है। अगले तीन वर्षों में (वित्त वर्ष 2022 के अंत तक) 17,000 करोड़ रुपये का हिस्सा है, जो लोग कर्ज के माध्यम से वित्त पोषित है। बढ़ते कर्ज के बीच अभिवृद्धि वित्त वर्ष 2020/21 के दौरान उद्योग RoCE स्तर और कर्ज सुरक्षा मैट्रिक्स को प्रभावित करेगी।

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