टाटा मोटर्स से जुड़ा बड़ा खुलासा: नैनो की ना के बाद मारुति को ऐसे हुआ था फायदा
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने 9 जुलाई को मिस्त्री और उनकी पारंपरिक कंपनियों की ओर से दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमन और साइरस मिस्त्री की आपसी लड़ाई के चलते ग्रुप और कंपनी की छोटी कार नैनो को बड़ा नुकसान पहुंचा है। इस झगड़े के चलते टाटा मोटर्स ने ओला और उबर से नैनो और इंडिका को मिलने वाले बड़े आर्डर को गंवा दिया था। वहीं, इसी चीज का फायदा मारुति सुजुकी ने उठा लिया था। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबईबेच ने 9 जुलाई को मिस्त्र और उनकी पारंपरिक कंपनियों की ओर से दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसी दौरान बेंच के करीब 369 पेज के ऑर्डर में यह पता चला कि टाटा मोटर्स ने करीब तीन साल पहले बड़े ऑर्डर को गंवा दिया था।
टाटा ने मिस्त्री को लिखा था लेटर
ऑर्र के मुताबिक रतन टाटा ने मिस्त्री को 16 सितंबर 2015 के दिन एक लेटर लिखा था जिसमें ओला की ओर से दिए गए खरीद प्रस्ताव का जिक्र किया गया था। इसमें रतन टाटा ने कहा था कि "तुम्हें याद होगा कि 1 सितंबर को हम साथ थे और मैने उस समय बताया था कि ओला कैब के को-फाउंडर भावेश अग्रवाल ने मुझे 10,000 नैनो और इंडिका/इंडिगो को टाटा मोटर्स से खरीदने, लीज या ज्वाइंट वेंचर के लिए दिलचस्प जाहिर की थी। ओला को टाटा मोटर्स से सालाना आधार पर 1.50 लाख वाहन चाहिए थे।"
टाटा मोटर्स के लिए जरूरी थी डील
रतन टाटा ने लिखा, "ओला यह लेन-देन टाटा मोटर्स के साथ करना चाहती थी लेकिन टाटा मोटर्स ने उसे कोई सकारात्मक रिस्पांस नहीं दिया। इसी दौरान मारुति सुजुकी उनके पीछे पड़ी थी।"
रतन टाटा चाहते थे कि टाटा मोटर्स को यह डील मिले, क्योंकि बाजार में टाटा मोटर्स की बिक्री लगातार घट रही थी। इसके अलावा कंपनी द्वारा लॉन्च की गई नई बोल्ट और जेस्ट को भी बाजार ने स्वीकार नहीं किया था।
हुआ था 10 महीने के बिजनेस का नुकसान
कोर्ड ऑर्डर के मुताबिक, रतन टाटा ने टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल बिजनेस यूनिट के प्रेसिडेंट मयंक पारिख को लेटर लिखा था। इस लेटर में उन्होंने कहा था कि वाहनों की 1.50 लाख यूनिट्स की बिक्री का मतलब कंपनी को 10 महीने के बिजनेस का नुकसान है। उन्होंने पारिख से यह भी पूछा कि अगर मारुति सुजुकी को यह ऑर्डर मिलता है तो कंपनी मैनेजमेंट का इस बात का जवाब कैसे देगी। कंपनी को क्यों यह बिजनेस नहीं मिल पाया? कोर्ट ऑर्डर के मुताबिक, यही वजह रही है कि टाटा ने मयंक को लेटर लिखा और मयंक ने तुरंत मिस्त्री को इसका ध्यान दिलाया।
शैलेश चंद्रा ने मिस्त्री की ओर से दिया था जवाब
ऑर्डर के मुताबिक मिस्त्री के निर्देश पर शैलेश चंद्रा नाम के एक व्यक्ति ने मयंक पारिक को कहा कि उबर ने कंपनी को ज्यादा बेहतर ऑफर दिए हैं जिसके चलते वह ओला को जवाब नहीं दिए।
उबर से भी नहीं हो पाई डील
उबर से भी किसी तरह की कोई डील नहीं होने पर टाटा ने मिस्त्री को लेटर लिखकर कहा, "1.50 लाख इंडिका और नैनो को ओला को बेचने के प्रस्ताव का कंपनी को स्वागत करना चाहिए था, क्योंकि यह मौजूदा बिक्री के लेवल के हिसाब से 15 महीने का प्रोडक्शन था। टाटा मोटर्स अगर ओला कैब्स और उबर द्वारा दिए जा रहे प्रस्तावों को पूरा कर लेती तो कंपनी का काफी फायदा होता। टाटा मोटर्स ने मारुति सुजुकी के हाथों बिजनेस को गवांदिया, जबकि टाटा मोटर्स को इसकी काफी जरूरत थी।'