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कोई भगवान मानता था तो कोई खलनायक, Osho के भक्तों का ये तोहफा आज भी है दुनिया के लिए मिसाल

Osho जिन्हें Bhagwan Rajneesh नाम से भी पहचाना जाता था उनके पास 96 Rolls Royces की गाड़ियां थी

By Shridhar MishraEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 07:05 AM (IST)
कोई भगवान मानता था तो कोई खलनायक, Osho के भक्तों का ये तोहफा आज भी है दुनिया के लिए मिसाल
कोई भगवान मानता था तो कोई खलनायक, Osho के भक्तों का ये तोहफा आज भी है दुनिया के लिए मिसाल

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। जब कभी OSHO (ओशो) का नाम आता है, तो दुनिया दो धड़ों में बंट जाती है। इनमें एक धड़ा ‘ओशो’ को भगवान मानता है तो वहीं, दूसरा धड़ा उन्हें खलनायक। हालांकि, ओशो पर कभी इसका फर्क नहीं पड़ा कि कौन उनके साथ है या कौन उनके खिलाफ। Osho को शुरुआती दिनों में (Bhagwan Rajneesh) भगवान रजनीश के नाम से पहचान मिली। ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1939 को मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में में हुआ था। ओशो ने करियर की शुरुआत बतौर लेक्चरर शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे ओशो पूरी दुनियाभर में लोकप्रिय होने लगे। कामुकता पर उनके बेबाक राय को कई जगहों पर सराहा गया तो कई जगहों पर वो बदनाम हो चुके थे, लेकिन ओशो के भक्तों में कभी कमी नहीं आई। अपने भक्तों के लिए ओशो केवल भगवान थे। यही कारण था कि ओशो के पास तोहफे में दी गई कई Rolls Royace की कारें थी।

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90 से भी ज्यादा Rolls Royace के मालिक थे Osho 

ओशो के पास 90 से भी ज्यादा Rolls Royace का कारें थी। इस बात को ओशो बड़े शान से बयां करते थे। ओशो कहते थे कि उनके भक्त चाहते हैं कि उनके पास 365 Rolls Royace कारें हों, जहां वो हर अलग दिन के लिए अगल Rolls Royace का इस्तेमाल कर सकें।

65 हजार एकड़ ज़मीन पर बना था आश्रम

साल 1981 से 1985 के बीच ओशो या भगवान रजनीश अमेरिका गए। यहां उनके भक्तों ने ओरेगन प्रांत में 65,000 एकड़ ज़मीन पर आश्रम बसाया था। ओशो का अमरीका प्रवास काफी विवादास्पद रहा। ओशो महंगी घड़ियों, रोल्स रॉयस कारों और डिजाइनर कपड़ों की वजह से हमेशा चर्चा में रहे।

बैन से गिरफ्तारी तक

ओशो को दुनिया के 21 देशो में बैन कर दिया गया था। ओशो को 1985 में जर्मनी में गिरफ्तार कर लिया गया था।

'संभोग से समाधि की ओर'

ओशो कामुकता और नशे की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाते रहे। उनके सभी प्रवचनों को मिलाकर साल 1968 में एक किताब पब्लिश की गई। इस किताब का नाम था 'संभोग से समाधि की ओर'। 


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