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दुर्घटनाओं के डाटा में वर्षों लगाने वाली रिसर्च की कोई जरूरत नहीं: गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा पर बैठक के दौरान तगड़ी फटकार लगाई है। उन्होने कहा कि ब्लैक स्पाट ठीक करने में फेस वन और फेस टू करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होने दुर्घटनाओं के डाटा में वर्षों लगाने वाली रिसर्च को भी गलत ठहराया है। (फाइल फोटो)।

By Jagran NewsEdited By: Rammohan MishraPublished: Fri, 26 May 2023 10:15 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2023 01:10 AM (IST)
दुर्घटनाओं के डाटा में वर्षों लगाने वाली रिसर्च की कोई जरूरत नहीं: गडकरी
No need for years-long research on accident data Gadkari says

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मार्ग दुर्घटनाओं का रियल टाइम डाटा एकत्र करने तथा सड़क सुरक्षा के लिहाज से उसके तात्कालिक विश्लेषण को लेकर तमाम बातें होने के बावजूद सुधार की धीमी रफ्तार पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नाराजगी जताई है। गडकरी ने कहा कि जब हर दिन लोगों की मार्ग दुर्घटनाओं में जान जा रही है तब फिर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ट्रांसपोर्ट रिसर्च का इसमें कई साल लगाने का कोई मतलब नहीं।

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सड़क सुरक्षा को लेकर गडकरी की फटकार

विगत दिवस एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि आज ही मैंने सड़क सुरक्षा को लेकर मीटिंग की। उसमें दुर्घटनाओं के डाटा को लेकर मैंने मंत्रालय के सचिव से कहा कि एक्सीडेंट रिसर्च विंग को यहां से हटा देना चाहिए। गडकरी ने सरकारी तंत्र में आडिट जैसे कामों में जरूरत से ज्यादा देरी का उल्लेख करते हुए हमारी कुछ नीतियों में कैसे निर्णय करें और कहां हमारी गलती होती है, इसका आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है।

रिपोर्ट बनेने में हो रही है देरी

मंत्रालय में एक सेक्शन बना हुआ है, जो पूरे देश से मिलने वाले मार्ग दुर्घटनाओं का विश्लेषण करता है। पहले यह सेक्शन अपनी रिपोर्ट देने में सात-आठ साल लगाता था, अब तीन साल लग रहे हैं। उसकी निगाह में यह सुधार है, लेकिन मेरे विचार से इतनी देरी के बाद रिपोर्ट का कोई अर्थ ही नहीं है। रोज लोग मर रहे हैं, एक-एक स्थान में सौ-सौ लोगों की जान चली गई। ऐसे ब्लैक स्पाट पर इनकी तीन-तीन साल बाद आने वाली रिपोर्ट से कैसे सुधार होगा।

लोगों की जान पहले बचाई जानी चाहिए: गडकरी

गडकरी ने कहा कि इतनी गंभीर स्थिति में रिपोर्ट, लक्ष्य, सुधार की सिफारिश आदि, यह सिलसिला ठीक नहीं है। गडकरी ने कहा कि यह ऐसा मामला है, जिसको लेकर वही संवेदनशीलता दिखा सकता है जो कभी किसी दुर्घटना से गुजरा हो और उसके दुष्परिणामों को जानता हो। इसमें जो लोग सुधार के लिए फेस वन, फेस टू कर रहे हैं वह किसी का हित नहीं कर रहे हैं। गडकरी ने बैठक में कहा कि दो काम कम भले ही किए जाएं, लेकिन लोगों की जान पहले बचाई जानी चाहिए।


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