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एक साल के भीतर फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के रोल-आउट पर नितिन गडकरी ने दिया जोर, 6 एयरबैग देने के लिए भी वाहन निर्माताओं से की अपील

वाहन के सभी वेरिएंट और सेगमेंट में कम से कम 6 एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की भी अपील की गई। आधिकारिक बयान के अनुसार मंत्री ने सियाम के सीईओ के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जिसमें निजी वाणिज्यिक और दोपहिया वाहन निर्माता शामिल थे।

By BhavanaEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 09:01 AM (IST)
एक साल के भीतर फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के रोल-आउट पर नितिन गडकरी ने दिया जोर, 6 एयरबैग देने के लिए भी वाहन निर्माताओं से की अपील
इस मुलाकात में निजी, वाणिज्यिक और दोपहिया वाहन निर्माता शामिल थे।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार यानी आज भारतीय ऑटो बाजार में एक साल के भीतर फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों (एफएफवी) के रोल-आउट पर जोर दिया। गडकरी ने वाहन निर्माताओं से वाहन के सभी वेरिएंट और सेगमेंट में कम से कम छह एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की भी अपील की।

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मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि आज नई दिल्ली में सियाम (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) के सीईओ के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। भारत में 100% इथेनॉल और गैसोलीन पर चलने में सक्षम फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स (एफएफवी) के एक साल के भीतर रोल-आउट की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

उन्होंने कहा, "यात्री सुरक्षा के हित में, मैंने सभी निजी वाहन निर्माताओं से वाहन के सभी वेरिएंट और सेगमेंट में कम से कम 6 एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की भी अपील की है।" एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्री ने सोसाइटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के सीईओ के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसमें निजी, वाणिज्यिक और दोपहिया वाहन निर्माता शामिल थे।

बताते चलें, कि भारत सरकार ने इथेनॉल बेस्ड 'फ्लेक्स-इंजन' को अनुमति देने के निर्णय पर करीब एक महीने पहले घोषणा की थी। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा एक कार्यक्रम में इसकी पुष्टि के बाद यह खबर सुर्खियों में आई। नितिन गडकरी ने यह भी कहा था कि जीवाश्म ईंधन की जगह इथेनॉल का उत्पादन स्थानीय कृषि उपज से किया जाएगा, और वह अगले तीन महीनों के भीतर इस योजना को लागू करेंगे।

ईंधन के रूप में स्थानीय रूप से उत्पादित इथेनॉल पर स्विच करने से हमारे देश को कच्चे तेल के आयात पर कम भरोसा करने में मदद मिलेगी, और ऐसे ईंधन का उपयोग करने से प्रदूषण भी काफी कम हो जाएगा। यहां ध्यान देने वाली बात है, कि एक लीटर इथेनॉल की कीमत 60-62 रुपये के बीच होने की उम्मीद है, जबकि एक लीटर पेट्रोल की कीमत लगभग 100 रुपये है।


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