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जल्द मार्केट में दिखेंगे ‘फ्लेक्स फ्यूल इंजन’ वाले वाहन, गडकरी ने दिया 6 महीने के अंदर प्रोडक्शन शुरू करने की सलाह

भारत के ईधन के रूप में पेट्रोलियम के आयात को कम करने के लिए हमने वाहन कंपनियों को बीएस-छह उत्सर्जन मानकोंवाले दो प्रकार के ईंधन से चलने वाले वाहनों तथा फ्लेक्स ईंधन से युक्त मजबूत हाइब्रिड गाडि़यों की मैन्यूफैक्चरिंग छह महीने के अंदर शुरू करने की सलाह दी है।

By Atul YadavEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 07:53 AM (IST)
जल्द मार्केट में दिखेंगे ‘फ्लेक्स फ्यूल इंजन’ वाले वाहन, गडकरी ने दिया 6 महीने के अंदर प्रोडक्शन शुरू करने की सलाह
फ्लेक्स फ्यूल इंजन: गडकरी ने दिया 6 महीने के अंदर प्रोडक्शन शुरू करने की सलाह

नई दिल्ली, आइएएनएस। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वाहन निर्माता कंपनियों को फ्लेक्स- फ्यूल व्हीकल्स (एफएफवी) इंजन वाली गाड़ियों का प्रोडक्शन शुरू करने को कहा, यहां तक की सलाह के तौर पर मंत्री ने वाहन निर्माताओं को 6 महीने का समय दिया। बता दें बीएस-6 तकनीक पर आधारित फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स (एफएफवी) और फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रांग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएफवी-एसएचईवी) का उत्पादन शुरू होने से देश को कई मोर्चो पर एक साथ लाभ मिलेगा।

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मंत्री ने का ट्वीट

सोमवार को केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री के ह्यआत्मनिर्भर भारत के विचार को मूर्त रूप देने और परिवहन के लिए एथेनॉल को प्रोत्साहित करने की सरकार की नीति के अनुरूप यह कदम उठाया गया है। इसके अंतर्गत बनने वाले फ्लेक्स फ्यूल वाहन 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत बायो-एथेनॉल मिश्रण के साथ-साथ एफएफवी - एसएचईवी के मामले में स्ट्रॉंग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक पर भी चलने में सक्षम होंगे।

2025 तक इथेनॉल मिश्रण पर रोड मैप तैयार

सरकार जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम से कम करने के लिए विभिन्न वैकल्पिक ईंधनों के उपयोग के विकल्पों का पता लगा रही है। फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को फ्लेक्स ईंधन वाले इंजनों और अन्य पुजरें के निर्माण से जुड़े ऑटोमोबाइल क्षेत्र को भी इसमें शामिल किया गया है। नीति आयोग ने एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के मजबूत ढांचे को महत्व देते हुए 2020-2025 की अवधि के लिए इथेनॉल मिश्रण पर एक रोड मैप भी तैयार किया है।

2030 तक 1 बिलियन टन तक कम होगा कार्बन उत्सर्जन

इस कदम से देश को होने वाले फायदों को गिनाते हुए गडकरी ने कहा कि इससे भारत को वाहनों से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलेगी, साथ ही इससे भारत को 2030 तक अपने कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करने की कॉप 26 में की गई प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के नए नियमों के अनुसार यह निर्धारित किया गया है कि पारंपरिक ईंधन के सभी अधिकृत विक्रेताओं को अपने केंद्र पर सीएनजी, बायो फ्यूल, एलएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिग पॉइंट इत्यादि में से कम से कम एक वैकल्पिक ईंधन की बिक्री की सुविधा भी स्थापित करने की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार, अगले पांच वर्षों में गैसोलीन में इथेनॉल के मिश्रण में बड़ा उछाल आएगा, जिसके लिए फ्लेक्स इंजन वाले वाहनों की उपलब्धता की आवश्यकता होगी।


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