नई दिल्ली, अतुल यादव। भारत में जब से फॉस्टैग की शुरूआत हुई है तब से टोल बूथ पर थोड़ी भीड़ कम देखने को मिलने लगी। फॉस्टैग की शुरूआत इसलिए की गई ताकि, लोगों के समय की बचत के साथ-साथ पॉल्यूशन को भी कंट्रोल किया जा सके। हालांकि, फॉस्टैग का इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं, लेकिन उनको इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती है, जो उन्हें होनी चाहिए थी। इसलिए आज आपके लिए जागरण एक्सप्लेनर में लेकर आए हैं फॉस्टैग से जुड़ी सभी बेसिक जानकारियां, जिसमें फॉस्टैग क्या होता है? इसके क्या फायदे हैं ? फॉस्टैग स्टिकर का क्या महत्व है आदि के बारे में..
फॉस्टैग शुरू करने का कारण?
FASTag को भारत में पहली बार 2014 में पेश किया गया था। FASTag ने देश में टोल टैक्स लेने के तरीके को बदल दिया है। FASTag एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेक्नालॉजी-इनेबल्ड कार्ड है, जो ड्राइवरों को टोल बूथ पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपने टोल टैक्स का भुगतान करने की अनुमति देता है।
फॉस्टैग स्टिकर से कैसे होता है पेमेंट?
FASTags को टोल प्लाजा, प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के भारतीय बैंकों जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पेटीएम जैसे डिजिटल भुगतान ऐप के माध्यम से खरीदा जा सकता है। FASTag स्टिकर गाड़ियों के विंडशिल्ड पर लगाया जाता है, जब यूजर अपनी गाड़ी को टोल लेन में ले जाता उस समय फॉस्टैग स्टिकर के माध्यम से अपने-अपने टोल शुल्क कट जाता है। पहले ड्राइवरों को लंबी लाइनों से गुजरा पड़ता था, लेकिन अब टोल शुक्ल देने के लिए केवल गाड़ी की गति को धीमा करना पड़ता है।
फॉस्टैग के इस्तेमाल करने के फायदे?
असल मायने में जो फॉस्टैग का फायदा है वो है समय की बचत। इसके अलावा टोल लेन पर लगने वाली लाइनों से भी काफी हद तक राहत मिलती है। इसके साथ-साथ फॉस्टैग यूजर्स अपनी ईंधन की भी बचत करने में सक्षम रहते हैं।
- फॉस्टैग के नुकसान?
- कई बार फॉस्टैग स्टिकर काम न करने के कारण यूजर्स को प्रतिक्षा करना पड़ता है।
- कई बार सर्वर ठीक न होने के कारण फॉस्टैग काम नहीं करता है।
- फॉस्टैग आने से टोल पर काम करने वाले अधिकतर लोग बेरोजगार हो गए।
- मालिक का पंजीकरण और बैंक विवरण FASTag खाते से जुड़ा होता है, इसलिए यदि मालिक वाहन बेचता है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि कोई नया मालिक उसी FASTag के साथ कार चला पाएगा या नहीं।
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