Move to Jagran APP

चौतरफा अनिश्चितता ने बढ़ाई देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मुश्किल

जब तमाम कार कंपनियां डीजल इंजन बनाने पर भारी भरकम निवेश कर रही थीं तभी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एनसीआर में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों की बिक्री पर रोक का फैसला आया

By Ankit DubeyEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 09:48 AM (IST)
चौतरफा अनिश्चितता ने बढ़ाई देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मुश्किल
चौतरफा अनिश्चितता ने बढ़ाई देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मुश्किल

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अगर यह कहा जाए कि देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर की मौजूदा मंदी के बीज चार वर्ष पहले ही पड़ गए थे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जब तमाम कार कंपनियां डीजल इंजन बनाने पर भारी भरकम निवेश कर रही थीं, तभी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एनसीआर में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों की बिक्री पर रोक का फैसला आया। उसके बाद से ऑटो सेक्टर पर नीतिगत अनिश्चितता के जो बादल छाए वे अभी तक नहीं छंट पाए हैं। इसके फलस्वरूप न केवल ऑटोमोबाइल उद्योग की विकास की रफ्तार रुक गई, बल्कि वह दशक की सबसे बड़ी मंदी के करीब जा पहुंचा है।

loksabha election banner

ऑटो क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि पुराने डीजल वाहनों पर एनसीआर में प्रतिबंध के साथ-साथ उत्सर्जन मानकों के चलते भारत स्टेज-चार से सीधे साल 2020 में भारत-छह मानक लागू करने के एलान ने कंपनियों को हैरान किया। उद्योग इसकी तैयारियों में जुटा ही था कि वर्ष 2030 के बाद से देश में सिर्फ बिजली से चलने वाली कारों की बिक्री की घोषणा हो गई। हाल ही में पेट्रोल डीजल चालित वाहनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि का भी प्रस्ताव आया है। इन सभी वजहों ने न सिर्फ कंपनियों की लागत बढ़ाई, बल्कि ग्राहकों के लिए भी उत्पादों की कीमत बढ़ना तय हो गया है। अकेले एनसीआर में 12 फीसद डीजल चालित कारों की बिक्री होती है।

जब ऑटो सेक्टर की कंपनियां नीतिगत अनिश्चितता के बीच अपनी भावी रणनीति बनाने में जुटी थी, तभी नोटबंदी और जीएसटी के भी झटके लगे। इस बीच वर्ष 2017 के मध्य से कारों की बिक्री की रफ्तार एकदम से घटने लगी। अगर वर्ष 2018 के शुरुआती दो-तीन महीनों को छोड़ दें, तो इस दौरान वाहन उद्योग की बिक्री कभी भी उत्साहजनक नहीं रही। ऑटो बाजार के विशेषज्ञ मानते हैं कि एक तरफ सारी कंपनियां भावी रणनीति को लेकर अनिश्चित रहीं तो दूसरी तरफ इस अनिश्चितता ने ग्राहकों की मनोदशा पर भी गहरा असर डाला। डीजल वाहन खरीदने वाले ग्राहकों पर उल्टा असर पड़ा, तो बिजली चालित कारों को लेकर नई घोषणाओं ने ग्राहकों को अनिश्चय में डाल दिया। रही सही कसर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में वृद्धि ने पूरी कर दी। इन दिक्कतों के बीच बीते वर्ष गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की नकदी में कमी ने भी ऑटो सेक्टर के लिए दिक्कत बढ़ाई। तकरीबन दर्जन भर ऐसे एनबीएफसी जो सबसे ज्यादा ऑटो लोन देते थे, ने ऑटो लोन देना एकदम बंद कर दिया। जिस देश में 90 फीसद वाहन बैंकों से कर्ज ले कर खरीदे जाते हों, वहां इसका बड़ा उल्टा असर पड़ा।

हालांकि जमीनी तौर पर कुछ दूसरी वजहें भी हैं, जिन्होंने समूचे ऑटोमोबाइल सेक्टर को निराशा के गर्त में डाला है। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने कार डीलरों से कर्ज के बदले कोलैटरल की मांग शुरू कर दी है। अभी तक डीलर को कंपनियों से जितनी गाड़ी लेनी होती थी उसके बदले आराम से कर्ज मिल जाता था, लेकिन अब उन्हें यदि 40 करोड़ रुपये का कर्ज लेना है तो बैंक 10 से 25 करोड़ रुपये तक की जमानत कोलैटरल के रूप में मांग रहे हैं। इसके साथ ही सरकारी एजेंसियों ने कई कार डीलरों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू की है। संभव है कि कुछ कार डीलरों के स्तर पर अनियमितता हो, लेकिन सभी डीलरों को उसकी सजा नहीं दी जा सकती।

ऑटो सेक्टर में मंदी की एक वजह इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर भी है। कंपनियों का मानना है कि सरकार ने अभी तक इसका कोई स्पष्ट रोडमैप उद्योग के सामने नहीं रखा है। भार्गव मानते हैं कि ग्राहक अभी समझ नहीं पा रहे हैं कि वह पेट्रोल व डीजल चालित कारें खरीदे या इलेक्ट्रिक वाहनों के आने का इंतजार करे।

ऑटो कंपनियों से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में सामंजस्य का अभाव भी परेशानी पैदा करता है। अभी ऑटो सेक्टर के लिए केंद्र सरकार के छह मंत्रालय (भारी उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय, स्टील मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय) अलग-अलग नीतियां बनाते हैं। ऑटो सेक्टर को इन सभी मंत्रालयों के आदेशों का पालन करना पड़ता है। एक्मा के प्रेसिडेंट राम वेंकटरमानी कहते हैं कि संभवत: यही वजह है कि स्क्रैप नीति की घोषणा भी अभी तक नहीं हो पा रही है।

यह भी पढ़ें:

ऑटो सेक्टर में मंदी के चलते Tata Hitachi के प्लांट अगस्त महीने में 5 दिन रहेंगे बंद

देखें तीन पहिए वाला Yamaha का इलेक्ट्रिक स्कूटर, खड़े होकर चलाते हैं इसे

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.