दिल्ली की सड़कों पर मौजूद 40 लाख ‘कबाड़’ गाड़ियां निकाल रही हैं राजधानी का दम
दिल्ली सरकार के मुताबिक राज्य में लगभग 40 लाख ऐसी पुरानी ओवरएज गाड़ियां हैं जिन्हें डीरजिस्टर तो कर दिया गया है लेकिन उन्हें सड़कों से हटाना बाकी है
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। दिल्ली सरकार के मुताबिक राज्य में लगभग 40 लाख ऐसी कबाड़ गाड़ियां हैं, जिन्हें डीरजिस्टर तो कर दिया गया है, लेकिन उन्हें सड़कों से हटाना बाकी है। इनमें पेट्रोल और डीजल दोनों ही गाड़ियां शामिल हैं। राज्य सरकार की तरफ से पिछले साल ऐसी गाड़ियों को हटाने के लिए दिल्ली में मोटर वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए दिशानिर्देश 2018 को अधिसूचित किया गया था। इसके तहत अगर पेट्रोल और सीएनजी की गाड़ियां 15 साल से ज्यादा पुरानी हो गई हैं तो यह डिस्बल (रद्द) हो जाएंगी। वहीं, अगर डीजल की गाड़ियां 10 साल से पुरानी हो जाती हैं तो वो रद्द हो जाएंगी।
दिल्ली सरकार की तरफ से बताया गया है कि राज्य में कुल 3,966,004 कबाड़ गाड़ियां है। यहां सबसे बड़ी बात जो आपको परेशान कर सकती है, वो यह कि दिल्ली सरकार की तरफ से इनमें से केवल 1405 वाहनों को स्क्रैप यानी हटाया गया है। इनमें से 965 चार पहिया कबाड़ वाहनों को हटाया गया है। वहीं, 335 दोपहिया और 59 तीन-पहिया वाहनों को अब तक स्क्रैप किया गया है। जबकि, केवल 46 ट्रक और बसों को राज्य सरकार की तरफ से स्क्रैप किया गया है। इनमें से ज्यादा तर गाड़ियों ने दिल्ली के महंगे सार्वजनिक जगहों पर कब्जा कर रखा है, जिसके चलते ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। बता दें कि हर साल दिल्ली की सड़कों पर लगभग 175,000 कारें और 450,000 दोपहिया वाहन शामिल होते हैं।
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में अधिसूचित पार्किंग नियम के तहत दिल्ली रखरखाव और पार्किंग स्थानों के नियम, 2019 में सार्वजनिक जगहों पर कबाड़ गाड़ियों की पार्किंग पर प्रतिबंध है। यह नागरिक एजेंसियों या ट्रैफिक पुलिस को सार्वजनिक जगहों पर खास कर 60 फुट चौड़ी सड़कों पर खड़े कबाड़ वाहनों को लगाने का अधिकार देता है। इसमें यह ट्रैफिक पुलिस को हक देता है कि 14 सप्ताह (तीन महीने और 15 दिन) की अवधि के भीतर मालिक की तरफ से लावारिस पाए जाने पर इन वाहनों को "नीलाम" करने का अधिकार है।