कोहरे में गाड़ी चलाते समय कैसे रहें सुरक्षित? UP पुलिस ने बताए ये आसान सेफ्टी टिप्स
फोरलेन (नेशनल हाइवे) पर यात्रा के दौरान टोल फ्री नंबर 1033 को जरूर याद रखें। किसी भी आपात स्थिति में यह नंबर आपकी बड़ी मदद करेगा। पहले हर क्षेत्र का टोल फ्री नंबर अलग-अलग नंबर होता था जिसे याद रखना मुश्किल होता था।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। कहीं-कहीं देर रात या फिर सुबह-सुबह कोहरा भी पड़ने लगा है, जिससे विजिबिलिटी कम हो जाती है। ऐसे में गाड़ी चलाते समय साफ दिखाई नहीं देता। कोहरे में रोड एक्सीडेंट की सूचना अधिक मिलती है। इसलिए, यूपी ट्रैफिक पुलिस ने गाड़ी चलाने वालों के लिए कुछ आसान सेफ्टी टिप्स दिए हैं, जिनका पालन सभी को करना चाहिए।
यूपी पुलिस ने ट्वीट कर दिए सेफ्टी टिप्स
यूपी पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक फोटो शेयर की है। जिसमें लिखा है कि-
कोहरे की वजह से दृष्यता कम होने के कारण दूर तक के वाहन एवं रास्ता स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। अत: वाहन को सावधानी पूर्वक एवं धीमी गति में चलायें। सावधानी बरतें, सुखद एवं सुरक्षित यात्रा करें।
यूपी पुलिस ने इस तस्वीर को कैप्शन देते हुए लिखा कि कोहरा के समय दृश्यता कम होती है अतः वाहन को सावधानी एवं धीमी गति से चलाएं। सुखद, सुरक्षित एवं मंगलमय यात्रा करें।
कोहरे में गाड़ी चलाते समय जरूर फॉलो करें ये टिप्स
अपनी लेन में चलें: कोहरे के दौरान निर्धारित से कम गति से वाहन चलाना बेहतर है। इससे भी जरूरी है कि आप अपनी लेन में वाहन चलाएं। बार-बार लेन बदलने से पीछे से आने वाले वाहन चालक भ्रमित हो सकते हैं, जिससे हादसे की संभावना और बढ़ जाती है।
हेडलाइट को हाईबीम में न रखें: कोहरे के समय गाड़ी चलाते समय गाड़ी की हेडलाइट को लो बीम में रखना चाहिए, इससे सामने की विजिबिलिटी थोड़ी बेहतर रहती है।
डिफॉगर ऑन रखें : कोहरे में कार चलाने के दौरान डिफॉगर ऑन रखें, ये शीशे के तापमान को बढ़ा देते हैं, इस वजह से उन पर धुंध नहीं जमती। आगे वाले शीशों पर अंदर की तरफ से जमने वाली धुंध को कार के हीटर और एयर वेंटिलेशन मोड को बदलकर हटाया जा सकता है। इसके अलावा शीशा साफ करने के लिए कपड़ा साथ लेकर चलना भी अच्छा रहता है।
इमरजेंसी के दौरान हाइवे पर काम आएगा ये नंबर: फोरलेन (नेशनल हाइवे) पर यात्र के दौरान टोल फ्री नंबर 1033 को जरूर याद रखें। किसी भी आपात स्थिति में यह नंबर आपकी बड़ी मदद करेगा। पहले हर क्षेत्र का टोल फ्री नंबर अलग-अलग नंबर होता था, जिसे याद रखना मुश्किल होता था। इसकी वजह से किसी भी दुर्घटना या परेशानी में मदद मांग पाना संभव नहीं हो पाता था।
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