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बेहतर मानसून से बढ़ सकती है छोटी कारों की मांग, पढ़ें एक्सपर्ट की राय

कारें, एसयूवी और मिनी ट्रक बनाने वाली कंपनियां टियर-III और टियर-IV क्षेत्रों में अपनी बिक्री में सुधार लाना चाहती हैं

By Ankit DubeyEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 02:08 PM (IST)
बेहतर मानसून से बढ़ सकती है छोटी कारों की मांग, पढ़ें एक्सपर्ट की राय
बेहतर मानसून से बढ़ सकती है छोटी कारों की मांग, पढ़ें एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली (अंकित दुबे)। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस वर्ष के लिए सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है, इसमें ऑटोमोटिव सहित कई कृषि आधारित क्षेत्रों की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। कारें, एसयूवी और मिनी ट्रक बनाने वाली कंपनियां टियर-III और टियर-IV क्षेत्रों में अपनी बिक्री में सुधार लाना चाहती हैं। कुछ वाहन निर्माता कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि एंट्री लेवल और बजट कारों की मांग में कमी आई है, अब उसमें वापस तेजी आएगी।

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रेनो इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, सुमित साव्हने ने कहा, "महंगाई को संबोधित करने और ग्रामीण मांग को बढ़ावा देने के लिए अच्छा मानसून महत्वपूर्ण है, जो कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि और किसानों के लिए उच्च आय पैदा करने में उत्साह प्रदान करेगा। यह ऑटोमोटिव उद्योग के लिए भी अच्छा है, खासतौर पर एंट्री-लेवल कार सेगमेंट के लिए जो कि गिरावट का रुख ले रही है।"

रेनो क्विड की बिक्री में 24% औसतन गिरावट:

रेनो की एंट्री लेवल क्विड को भारत में ऑल्टो से सबसे बड़ी चुनौती मिल रही है और इसकी बिक्री में भारी गिरावट भी देखने को मिल रही है। बीते वित्त वर्ष इसकी 24 फीसद औसतन गिरावट के साथ हर महीने 6,924 यूनिट्स की बिक्री रही है, 2016-17 में यह आंकड़ा 9,111 यूनिट्स का था।

साव्हने ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों से हमने टियर II और टियर III बाजारों में मानसून भविष्यवाणी के अनुकूल अपने नेटवर्क के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है। अब हम ग्रामीण बाजार से डिमांड में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।"

ऑटो इंडस्ट्री पर नोटबंदी का असर:

ऑटो एक्सपर्ट रंजॉय मुखर्जी ने बताया कि 2016 के अंत में नोटबंदी होने के चलते ग्रामीण क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है, जो कि अभी तक ठीक से उबर नहीं पाया है। नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था काफी लड़खड़ाती हुई नजर आई और इसमें ज्यादा सुधार देखने को भी नहीं मिला। आज भी ग्रामीण इलाकों के अलावा शहरी इलाकों में भी ATM में कैश की किल्लत देखने को मिल रही है। इन सभी कारकों के चलते ऑटो इंडस्ट्री एंट्री लेवल सेगमेंट में ऊबर नहीं पा रही है। दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी टियर II और टियर III क्षेत्रो में काफी गिरावट देखने को मिली है। यह सेगमेंट ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि दोपहिया वाहन निर्माताओं की इसमें कम से कम 40 फीसद हिस्सेदारी आती है।

रंजॉय मुखर्जी ने बताया कि मानसून से संभावनाएं हैं कि जून या जुलाई के बाद एंट्री लेवल सेगमेंट की बिक्री में बढ़ोतरी देखी जाएगी क्योंकि मानसून के बाद त्यौहारी सीजन भी शुरू है और साल के अंत में कंपनियां डिस्काउंट भी देने लगती हैं। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में एंट्री लेवल सेगमेंट में बहुत ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिलेगा लेकिन 2017-18 के मुकाबले थोड़ी बढ़ोतरी जरूर देखी जा सकती है।

एंट्रील लेवल सेगमेंट की बिक्री:

एंट्री कार सेगमेंट में फीचर मॉडल्स में मारुति सुजुकी ऑल्टो, हुंडई ईओन, टाटा नैनो, रेनो क्विड और डैटसन रेडी-गो शामिल हैं। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान इस सेगमेंट में 3 फीसद की गिरावट के साथ 4.32 लाख वाहनों की बिक्री हुई है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 4.45 लाख वाहनों की बिक्री हुई थी। वहीं, इंडस्ट्री ने पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट (कार, एसयूवी, वैन) में 8 फीसद की वृद्धि के साथ 3.28 मिलियन वाहनों की वृद्धि की है।

ऑल्टो की बिक्री में औसतन 7% की बढ़ोतरी:

ग्रामीण इलाकों में कम डिमांड के साथ उपभोक्ता प्रीमियम और मिड-हैचबैक की ओर प्रतिक्रिया देने के चलते एंट्री लेवल कारों की डिमांड में कमी दखने को मिली है। एंट्री लेवल सेगमेंट की लीडर मारुति सुजुकी ऑल्टो की बिक्री बीते वित्त वर्ष 7 फीसद की औसतन वृद्धि के साथ 21,544 यूनिट्स हर महीने हुई है, जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 20,136 यूनिट्स था।

ईओेन की बिक्री में औसतन 2% का इजाफा:

वहीं, साउथ कोरियन कार निर्माता कंपनी हुंडई की सस्ती कार ईओन की बीते वित्त वर्ष 2 फीसद औसतन वृद्धि के साथ हर महीने 5041 यूनिट्स की बिक्री हुई है, जबकि 2016-17 के दौरान यह आंकड़ा 4957 यूनिट्स का था।

नैनो के नहीं बिक रहे एक भी मॉडल:

टाटा मोटर्स के एंट्री लेवल और देश की सबसे सस्ती कार नैनो की बिक्री में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। वित्त वर्ष 2016-17 के मुकाबले बीते वित्त वर्ष कंपनी नैनो की एक चौथाई कार भी नहीं बेच पाई है। अब आलम यह है कि देश में इसकी एक भी यूनिट्स की बिक्री नहीं हो रही है। 


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