इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चुनौतियों से आप न हों परेशान, क्योंकि सरकार ने ढूंढ लिया है समाधान
आने वाला कल इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ही होगा, आइये जरा समझते हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बाजार को और जानते हैं अभी यह सफ़र कितना चुनौतियां भरा होगा
नई दिल्ली (आमोद राय)। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें हम सभी को परेशान कर रही हैं। जहां एक तरफ गाड़ी चलाना महंगा साबित होता जा रहा है तो वही इनसे निकलने वाला धुआं हम सभी के लिए बेहद खतरनाक है। ऐसे में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों का ही सहारा नजर आता है। आने वाला कल इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ही होगा, आइये जरा समझते हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बाजार को और जानते हैं अभी यह सफ़र कितना चुनौतियां भरा होगा
भविष्य इलेक्ट्रिक गाड़ियों का
अभी भारत में 48 ऑटोमोबाइल कंपनी, 12 मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी और 747 ऑटो पार्ट बनाने वाली कंपनियां हैं जहां करीब 20 लाख लोग काम करते हैं। सकल घरेलू उत्पाद में इनकी हिस्सेदारी 7.2 फीसद है। लिहाजा अगर इन ऑटोमोबाइल कंपनियों ने सरकार के कदम से कदम मिलकर चल दिया तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में भी हमारा देश अग्रणी कतार में खड़ा होगा। हाल के वर्षों में, दुनिया भर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर तेजी से झुकाव बढ़ा है, वहीं हमारा देश भी एक स्पष्ट नीति के साथ अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी में है।आज इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में चीन अपना डंका बजा रहा है और लिथियम-आयन बैटरी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश बना हुआ है।
दोपहिया इलेक्ट्रिक-बाइक बाज़ार पर विशेष नजर
भारतीय बाज़ार में 2,10,000 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन हैं I 98% लो-पावर, लो-स्पीड बाइक हैं जिन्हें मोटरबाइक की श्रेणी में नहीं रखा गया हैI बढिया डिजाइन नहीं होने की सूरत में बाज़ार में इनकी मांग नहीं हैI मौजूदा पेट्रोल बाइक से टक्कर लेने लायक इलेक्ट्रिक बाइक जल्द बाज़ार में उतारे जायेंगेI दमदार इलेक्ट्रिक मोटरबाइक पर जीएसटी कम करने की संभावना हैI फेम स्कीम के जरिये दिए जा रहे इन्सेन्टिव को और बढाये जाने की संभावना हैI बैटरी स्वैपिंग एंड चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जायेगाI इलेक्ट्रिक दोपहिया मोटरबाइक के समर्थन में बैंक लोन की विशेष योजनाI
थ्री-व्हीलर्स बाज़ार विशेष महत्व
विश्व का सबसे बड़ा तिपहिया वाहनों का बाज़ार हमारा देश है। इसके लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है। इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स पारंपरिक थ्री-व्हीलर्स की तुलना में दोगुना महंगा है। इस पर रोड टैक्स खत्म करने की मांग की गयी है। साथ ही, ई-रिक्शा और ई-ऑटो को परमिट फ्री करने की मांग की जा रही है।
कार की मांग बढ़ाने के लिए सुझाव
भारतीय कार बाज़ार में 75% छोटे कार हैं जिनकी औसत कीमत लगभग 5 लाख रुपये है।इस सेगमेंट पर फोकस बढ़ाये जाने की संभावना दिख रही है, क्योंकि 8 लाख के रुपये इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट पर छूट जीएसटी छूट 2.83 लाख की है। जबकि 4.5 लाख रुपये तक की इलेक्ट्रिक कार पर जीएसटी में छूट महज 78 हजार रुपये है।छोटे कार सेगमेंट में सरकारी प्रोत्साहन से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आयेगी।
इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा
इसके तहत चरणबद्ध तरीके से ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इसमें एक ही शहर के अंदर चलने वाली सरकारी बसों के काफिले में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया जायेगा। एयरपोर्ट और स्मार्ट सिटीज के अन्दर चलने वाले बसों के काफिले में शुमार किया जायेगा। साथ ही, स्कूलों में चलने वाले बसों और पीएसयू में चलने वाले स्टाफ बसों के बेड़े में शामिल किया जायेगा।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों से संबंधित दिक्कतें और उन्हें दूर करने का प्रयास
फिलहाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की राह में सबसे बड़ा रोड़ा इसकी बैटरी और चार्जिंग बनी हुई है।एक बार चार्जिंग के बाद गाड़ी 110 किलोमीटर ही चल पाती है, जबकि चार्जिंग में 8 घंटा लग जाता है। दूसरे कई देशों में लिथियम-आयन बैटरी महज 1 घंटे में चार्ज होकर 300 किलोमीटर तक की यात्रा करती है।नीति आयोग को सौंपे अपने रिपोर्ट में फिक्की ने ये सुझाव दिया है कि बैटरी की समस्या को दूर किये बगैर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की योजना सफल नही हो सकती। इस समस्या के हल के लिए विश्व के दूसरे देशों से बेहतर तकनीक से लैस कंपनियों से समझौता होना चाहिए। दूसरी दिक्कत ये है कि चार्जिंग के लिए कोई घोषित रेग्युलेशन और रेट नहीं है। लिहाजा अलग-अलग राज्यों में कोई फिक्स दर निर्धारित करना एक चुनौती है। फिलहाल देश में महज 328 चार्जिंग सेंटर हैं, जबकि ये हर 1 से 5 किलोमीटर पर बनाई जानी चाहिए। स्ट्रीटपोल में चार्जिंग सुविधा देने की भी मांग की जा रही है।
भारत सरकार के बिजली मंत्रालय का सरकारी उपक्रम EESL (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड) ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली-एनसीआर में 4000 चार्जिंग प्वाइंट के लिए टेंडर किया है जिसमें से कई चार्जिंग प्वाइंट अब ऑपरेशनल भी हो चुके हैंI यहीं नहीं EESL ने इलेक्ट्रिक कार मार्केट को नई उर्जा देने के लिए 10,000 कारों की खरीददारी की है जिनमें 5000 इलेक्ट्रिक कारें महिंद्रा से 5000 इलेक्ट्रिक कारें टाटा मोटर्स से खरीदी गई हैI थोक में कारों की खरीददारी कर EESL ने आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में सरकारी संस्थाओं को ऑफिशियल उपयोग के लिए भेजे हैंI संस्था का मानना है कि भारत सरकार में करीब 5 लाख गाड़ियों की खपत है सबसे पहले सरकार उन्हीं पर ध्यान दे रही हैI
अधिक से अधिक चार्गिंज प्वाइंट की जरूरत
EESL के सीएमडी सौरव कुमार ने जागरण से खास बातचीत में कहा, “देश को इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ ले जाना बेहद जरूरी है, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों का सपना पूरी तरह तभी सफल होगा जब उसकी चार्जिंग व्यवस्था को दुरुस्त कर दिया जायI पारंपरिक DC001 चार्जर से अलग लेवल 5 तक के चार्जर उपयोग में लाया जाएंI सबसे महत्वपूर्ण है चार्जिंग प्वाइंट बैठाने के लिए शुरुआत में सरकार की मदद की आवश्यकता है। इसे प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी या इंसेंटिव जरूर दिया जाना चाहिए।” हालांकि, दिल्ली इलेक्ट्रिक रेग्युलेटरी कमीशन (DERC) ने 5.5 रु/यूनिट का रेट फिक्स किया है मगर ये रेट भी महंगा बताया जा रहा हैI
वहीं, व्यक्तिगत तौर पर भी इस दिशा में कई प्रयोग हो रहे हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों से लैस ओला कैब के फ्लीट को 50 चार्जिंग प्वाइंट के साथ ठीक ढंग से चलाया जा रहा हैI महिंद्रा रेवा ने गोपालन मॉल चेन के साथ ये करार किया है कि गोपालन ग्रुप अपने सभी रिटेल आउटलेट पर महिंद्रा रेवा को फ्री चार्जिंग प्वाइंट देगाI जाने-माने ऑटो एक्सपर्ट रानोजॉय मुख़र्जी ने दैनिक जागरण से कहा, “इलेक्ट्रिक गाड़ियों की सफलता सीधे-सीधे बिजली की उपलब्धतता पर निर्भर करता है,क्योंकि इसमें जगह-जगह चार्जिंग प्वाइंट लगाना होगा। फ़ास्ट चार्जिंग सुविधा देनी होगी। साथ ही, चार्जिंग रेट सस्ता कैसे हो इसपर सरकार को ध्यान देना होगा।”