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ऑटो कंपनियों को मोदी सरकार से मिली राहत की बड़ी डोज

बिक्री में गिरावट के चलते मंदी की तरफ बढ़ रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग बढ़ाने के लिए सरकार ने शुक्रवार को एक साथ कई उपायों की घोषणा की गई

By Ankit DubeyEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 11:09 AM (IST)
ऑटो कंपनियों को मोदी सरकार से मिली राहत की बड़ी डोज
ऑटो कंपनियों को मोदी सरकार से मिली राहत की बड़ी डोज

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। बिक्री में गिरावट के चलते मंदी की तरफ बढ़ रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग बढ़ाने के लिए सरकार ने शुक्रवार को एक साथ कई उपायों की घोषणा की। इसके तहत सरकारी विभागों पर नए पेट्रोल डीजल वाहनों की खरीद पर लगी रोक वापस लेने, रजिस्ट्रेशन फीस में वृद्धि के प्रस्ताव पर अमल टालने और डेप्रिसिएशन रेट में वृद्धि जैसे उपाय शामिल हैं। हालांकि सरकार ने जीएसटी की दर में कटौती के मामले में अभी कोई वादा इंडस्ट्री से नहीं किया।

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ऑटो कंपनियों की BS4 वाहनों की इन्वेंट्री की समस्या का फौरी हल निकालते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के विभाग जल्द ही नए पेट्रोल डीजल वाहनों की खरीद फिर शुरू करेंगे। सरकार ने इस पर लगी रोक वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2020 तक खरीदे गए ऐसे सभी वाहन तब तक सड़कों पर बने रहेंगे जब तक उनके रजिस्ट्रेशन की अवधि समाप्त नहीं हो जाती। ऑटोमोबाइल कंपनियों को इस बात की बेहद चिंता थी कि अप्रैल 2020 से BS6 मानक लागू होने के बाद पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन का क्या होगा। इसके चलते इन वाहनों की बिक्री की रफ्तार पिछले एक साल से लगातार कम हो रही थी जिसके चलते ऑटो कंपनियों की इन्वेंट्री काफी बढ़ गई थी।

वित्त मंत्री ने जल्द ही ऑटो सेक्टर के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी लागू करने का भरोसा भी दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति पर विचार हो रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होने के बाद इसका ऐलान कर दिया जाएगा। इसके तहत पुराने वाहनों को नष्ट करके नए वाहन खरीदने के लिए इंसेंटिव का प्रावधान भी होगा। सीतारमण ने कहा कि यह कदम भी ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग बढ़ाने में सहायक होगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देने की सरकार की घोषणा के बाद फैले संदेह के बादलों को भी वित्त मंत्री ने दूर करने कर दिया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में आने के बावजूद पेट्रोल डीजल चालित वाहनों का रजिस्ट्रेशन जारी रहेगा। यह पहला मौका है जब सरकार ने आगे आकर इस संबंध में कोई बयान दिया है। अब तक ऑटोमोबाइल कंपनियों से लेकर ग्राहकों में इस बात को लेकर भ्रम था कि 2022 के बाद तिपहिया और 2025 के बाद दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्यूफैक्चरिंग का नियम लागू होगा और पारंपरिक वाहनों की बिक्री बंद हो जाएगी।

इसके अतिरिक्त वित्त मंत्री ने वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर बढ़ी हुई फीस के फैसले को भी फिलहाल टालने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन फीस में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। इसी तरह 15 परसेंट के अतिरिक्त डेप्रिसिएशन के एलान के बाद मार्च 2020 तक खरीदे गए वाहनों पर अब कुल 30 परसेंट डेप्रिसिएशन का लाभ लिया जा सकेगा। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से ऑटोमोबाइल उद्योग के प्रतिनिधि और मैन्यूफैक्चर्स ने वित्त मंत्री के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं। ऑटो कंपनियां सरकार से जीएसटी में कमी के साथ साथ राहत पैकेज की मांग कर रही थीं। कंपनियों का कहना था कि बिक्री में तेज गिरावट के चलते ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग और कंपोनेंट इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में नौकरियां जाने का खतरा बन गया है। कुछ कंपनियों में तो अस्थायी व कांट्रेक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों की छंटनी शुरू भी हो गई थी। ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के संगठन सियाम के मुताबिक अप्रैल से जून की तिमाही में वाहनों की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 12.35 परसेंट की कमी दर्ज की गई है।


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