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ऑटो सेक्टर ने मोदी सरकार के सामने रखी ये मांग, लाखों नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा

मंदी की मार झेल रहे ऑटो इंडस्ट्री ने मोदी सरकार से प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 08:50 AM (IST)
ऑटो सेक्टर ने मोदी सरकार के सामने रखी ये मांग, लाखों नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा
ऑटो सेक्टर ने मोदी सरकार के सामने रखी ये मांग, लाखों नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। मंदी की मार झेल रहे ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है। ऑटो इंडस्ट्री को गति देने के लिए उन्होंने वाहनों पर जीएसटी की दर घटाने की मांग भी की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बुधवार को हुई एक बैठक के दौरान ऑटो क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने यह मांग रखी। इस बैठक में मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव और महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रेसिडेंट (ऑटोमोटिव सेक्टर) राजन वढेरा के अलावा ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों प्रतिनिधि व डीलर एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे।

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वित्त मंत्री ने यह बैठक ऐसे समय बुलाई, जब ऑटो सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान वाहनों की बिक्री 12.35 फीसद घटकर 60,85,406 यूनिट्स रह गयी है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 69,42,742 यूनिट्स थी। वहीं फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन का कहना है कि ऑटो सेक्टर में मंदी के चलते बीते तीन महीने में लगभग दो लाख नौकरियों का नुकसान हुआ है। ‘दैनिक जागरण’ ने भी हाल में एक विशेष सीरिज के जरिए ऑटो सेक्टर की समस्याओं को उजागर किया था।

वित्त मंत्री के साथ बैठक में शामिल ऑटो सेक्टर के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री का ध्यान ऑटो क्षेत्र की चुनौतियों की आकर्षित किया। उन्होंने यह भी बताया कि अगर इस क्षेत्र को संकट से नहीं उबारा गया तो इसमें बड़े स्तर पर लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।

बढेरा ने कहा कि हमने ऑटो इंडस्ट्री के लिए मदद की मांग की है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सरकार ऑटो इंडस्ट्री को प्रोत्साहन पैकेज देगी। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग में गिरावट और इसे बढ़ाने के संभावित उपाय जानने की कोशिश की। बैठक में शामिल भारी इंडस्ट्री मंत्रलाय के प्रतिनिधियों का रुख ऑटो सेक्टर को गति देने के समर्थन में था। ऑटो इंडस्ट्री ने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए ऋण की उपलब्धता व वाहनों की बढ़ती कीमतों समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की। ऑटो इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने यह मांग भी दोहराई कि वाहनों के पंजीकरण पर लगने वाली रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोत्तरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही परेशानियों का सामना कर रहा है। उन्होंने वाहनों की बिक्री घटने के चलते नौकरियां जाने के बारे में भी जानकारी दी। ऋण की उपलब्धता के बारे में उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री जगत ने सरकार से आग्रह किया है कि वह बैंकों को रेपो दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने का आग्रह करें।

इसके अलावा सरकार बैंकों को यह भी निर्देश दे कि पैसेन्जर व्हीकल सेगमेंट जैसे उन क्षेत्रों को उधार देने में कोताही न बरतें जिसमें फंसे कर्ज का स्तर काफी कम है। बैंक सभी डीलरों को डिफॉल्टर न मानें और जो लोग वित्तीय नियमों का पालन कर रहे हैं, उन्हें बैंक उधार देना बंद न करें। साथ ही उन्होंने सरकार से प्रोत्साहन आधारित स्क्रैप पॉलिसी लाने का आग्रह भी किया ताकि पुराने तथा प्रदूषणकारी वाहनों को हटाकर नए वाहनों की मांग को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने वाहनों पर जीएसटी की दर 28 से घटाकर 18 फीसद करने की मांग भी की।

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