ऑटो सेक्टर मोदी सरकार से मांग रही मदद, त्योहारों पर सुधार की उम्मीद
ऑटो उद्योग के लिए सुधार की उम्मीद अब पूरी तरह आने वाले त्योहारी सीजन और मानसून की स्थिति पर टिकी है
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारी मंदी से जूझ रहे ऑटो उद्योग के लिए सुधार की उम्मीद अब पूरी तरह आने वाले त्योहारी सीजन और मानसून की स्थिति पर टिकी है। लेकिन यह सुधार भी इस बात पर अधिक निर्भर करता है कि सरकार बाजार में मांग बढ़ाने और उद्योग को राहत देने के लिए कुछ कदम उठाती है अथवा नहीं। उद्योग मान रहा है कि जीएसटी की दरों में तर्कसंगत बदलाव से लेकर नीतियों के बारे में स्पष्टता जैसे अल्पकालिक व दीर्घकालिक उपायों पर एक साथ तत्काल कदम उठाना आवश्यक है।
बीते नौ महीनों से वाहनों की बिक्री को लेकर संघर्ष कर रहे ऑटो उद्योग की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वाहनों में ग्राहकों की सुरक्षा से जुड़ी नीतियों और कच्चे माल की कीमत बढ़ने की वजह से ऑटो कंपनियों की उत्पादन लागत में पिछले एक वर्ष में काफी वृद्धि हुई है। घरेलू बाजार में दोपहिया वाहन की एक बड़ी कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस बढ़ी हुई लागत का बड़ा हिस्सा कंपनियों ने खुद वहन किया है। लेकिन सरकार को जीएसटी और कस्टम ड्यूटी में राहत देकर इस मुश्किल वक्त में आगे कदम बढ़ाना चाहिए। अभी ऑटो उद्योग में 28 और 18 फीसद की जीएसटी दर प्रभावी है। उद्योग अधिकांश मामलों में 18 फीसद जीएसटी दर को अनुकूल मान रहा है।
नीतियों के स्तर पर भ्रम की स्थिति को देखते हुए उद्योग सरकार से हस्तक्षेप की उम्मीद लगाए हुए है। कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों के संगठन एक्मा के प्रेसिडेंट राम वेंकटरमानी कहते हैं, "उद्योग को तत्काल सरकार की मदद की आवश्यकता है। अगले वर्ष अप्रैल से BS-6 मानक लागू होने के बाद वाहन महंगे हो जाएंगे। ऐसे में सरकार जीएसटी की दर को कम करके बाजार में मांग बनाए रखने में मदद कर सकती है।"
क्या चाहता है उद्योग ?
- ऑटो उद्योग को जल्द से जल्द मिले प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा
- जीएसटी की दरों में तर्कसंगत बदलाव, दोहरी दर की समाप्ति
- ईवी समेत ऑटो सेक्टर की नीतियों पर स्पष्टता जरूरी
- वित्त की कमी से निपटने को नकदी का प्रवाह बढ़ाने के हो उपाय
- ऑटो कंपोनेंट के चीन से भारी आयात पर उठे कदम
- कंपोनेंट के खुले बाजार के लिए बने नियम, मानक बनना आवश्यक
- कच्चे माल की बढ़ी कीमत से भी उद्योग पिछले लगभग एक वर्ष से है हलकान। फाइल
- सरकार से नियम-कानूनों समेत कई मामलों में राहत चाहता है उद्योग
- बढ़ती लागत के चलते वाहनों के महंगा होने का बढ़ रहा है खतरा
वाहनों की बिक्री कम होने का असर कंपोनेंट उद्योग पर भी पड़ा है। इन कंपनियों की वृद्धि दर भी पिछले साल के 18.3 फीसद से घटकर 14.5 फीसद पर आ गई। इसके अतिरिक्त चीन से हो रहे कंपोनेंट के भारी आयात की वजह से भी उद्योग दिक्कत में है। इस मसले पर भी एक्मा सरकार से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रही है। एक्मा के महानिदेशक विनी मेहता कहते हैं कि अगर खुले बाजार में बिकने वाले कंपोनेंट की गुणवत्ता को लेकर मानक बन जाएं तो भी कंपनियों के लिए काफी राहत हो जाएगी। वैसे भी ऑटो उद्योग लंबे समय से खुद के लिए प्राथमिक उद्योग का दर्जा पाने की कोशिश कर रहा है।
इसी साल मई में ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम ने केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद इस आशय की मांग रखी थी। ऑटो उद्योग के जानकारों का कहना है कि ऐसा हो जाने पर उद्योग की कई मुश्किलें आसान हो जाएंगी।
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