हर तीसरे वाहन चालक के पास मौजूद है Fake लाइसेंस, कटेगा 10 गुना चालान
नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना सबसे आसान है और ज्यादातर मामलों में लाइसेंस धारक की तस्वीर लाइसेंस में तस्वीर से मेल नहीं खाती
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में कहा था कि भारत में लगभग 30% ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी हैं। उन्होंने प्रस्तावित मोटर वाहन संशोधन विधेयक के लिए एक पिच बनाते हुए अपडेट दिया। उन्होंने ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन पर लगने वाले जुर्माने और लाइसेंसिंग के मौजूदा सिस्टम को बेकार करार दिया है। नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना सबसे आसान है और ज्यादातर मामलों में लाइसेंस धारक की तस्वीर लाइसेंस में तस्वीर से मेल नहीं खाती। हालांकि, सुस्त नियमों के चलते नकली लाइसेंस वाला कोई भी मोटर चालक ऐसी चीजों की परवाह नहीं करता है। इतना ही नहीं, लोग ट्रैफिक तोड़ने में भी नहीं कतराते क्योंकि 50 से 100 रुपये के चालान में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती।
नितिन गडकरी के मुताबिक देश में हर साल सड़क दुर्घनाओं में करीब 1.50 लाख लोगों की मौत होती है। उन्होंने कहा कि यह उनकी सबसे बड़ी नाकामी है कि पिछले चार सालों की कोशिश के बाद मोटर वाहन एक्ट में संशोधन को सदन में पास नहीं किया जा सका। नितिन गडकरी ने आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि सरकार तमाम कोशिशों के बाद देश में 3 से 4% सड़क दुर्घनाओं में कमी ला पाई है, लेकिन तमिलनाडू में 15 फीसद की कमी आई है। अब ऐसे में सरकार तमिलनाडू मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रही है।
10 गुना बढ़ा चालान
- नए अधिनियम के तहत जुर्माना कम से कम 10 गुना बढ़ जाएगा।
- नए बिल के तहत फेक लाइसेंस के साथ गाड़ी चलाने पर मौजूदा मानदंड़ों के तहत 500 रुपये के बजाए 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
- खराब ड्राइविंग और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर जुर्माना यातायात मौजूदा 1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक जाएगा।
- शराब पीकर वाहन चलाने वालों को अब 2,000 रुपये के बजाए 10,000 रुपये तक देने होंगे।
- नए MV Act के तहत सार्वजनिक सड़कों पर खतरनाक ड्राइविंग के लिए जुर्माना 1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक बढ़ जाएगा।
- इसके अलावा नए MV अधिनियम में नियमों का उल्लंघन करने पर जेल का भी प्रस्ताव है।
लाइसेंस टेस्ट में 50% से ज्यादा हुए फेल
हाल ही में, भारत की राजधानी दिल्ली में ऑटोमैटिक लाइसेंस प्रणाली शुरू की गई थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 50% से अधिक आवेदक ऑटोमैटिक लाइसेंस टेस्ट में विफल रहे हैं। भारतीय लाइसेंस प्रणाली दुनिया में सबसे आसान में से एक है। कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी इस पर प्रकाश डाला गया है।
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