प्रत्येक वाहन मालिकों के लिए जरूरी है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, जानें इससे क्या होता है फायदा
अगर आप कोई भी गाड़ी खरीदते समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेने से मना करते हैं या हिचकिचाते हैं तो इसका हर्जाना आपको भविष्य में भरना पड़ सकता है। बिना मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदे बिना चलाना एक दंडनीय अपराध है यह अपराध मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुरूप आता है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में यदि कोई भी वाहन खरीदता है, चाहे वो कार, ट्रक, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि हो, उसे थर्ड पार्टी बीमा कराना जरूरी हो गया है। ऐसा न करने पर इसे मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत अपराध माना जाता है। कई बार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस न हो के कारण वाहन मालिकों को चलान का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, क्या होता है थर्ड पार्टी व फर्स्ट पार्टी इश्योरेंस और क्या हैं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के फायदे।
फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस: फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस जीरो डेप्थ के साथ करवाया जा सकता है। जिसमें सारी चीज़ें कवर होती हैं। जैसे आपकी गाड़ी की टूट-फूट आपकी शारीरिक क्षति, सामने वाले जिससे आपकी गाड़ी टकराई है उसकी गाड़ी की टूट-फूट से लेकर उसकी इंजरी तक सारी चीज़ें इस इंश्योरेंस पॉलिसी में आपको कंपनी की तरफ से मिलती हैं। अगर आपकी गाड़ी चोरी हो जाती है या दुर्घटना के दौरान बुरी तरह डैमेज हो जाती है तो, इस इंश्योरेंस के तहत कंपनी की तरफ से आपको क्लेम मिल जाता है। जीरो डेप्थ वाले इंश्योरेंस में आप साल में दो बार क्लेम ले सकते हैं।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस: थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में आपके द्वारा हुई किसी दुर्घटना का क्लेम आपको नहीं मिलता बल्कि सामने वाले को मिलता है। उदाहरण के तौर पर, मान लिजिए आपकी गाड़ी किसी दूसरी गाड़ी से टकराती है, तो दुर्घटना में हुए नुकसान की भरपाई आपकी इंश्योरेंस कंपनी सामने वाले को देती हैं। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के तहत सिर्फ सामने वाली पार्टी को लाभ मिलता है जो आपके वाहन से दुर्घटना ग्रस्त हुआ है।
थर्ड पार्टी बीमा के फायदे- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी के फायदे की बात करें तो, मोटर वाहन एक्ट के मुताबिक अगर किसी वाहन का एक्सिडेंट हो जाता है और उसमें किसी की शारीरिक या संपत्ति का नुकसान होता है तो वाहन मालिक को उसके नुकसान की भरपाई करने होती है, जिसके भुगतान की जिम्मेदारी इंश्योरेंस कंपनी की हो जाती है। इसमें विभिन्न प्रकार के मुआवजे शामिल हैं जैसे-किसी अन्य की मृत्यु या शारीरिक क्षति पर मुआवजा, किसी अन्य व्यक्ति के वाहन व संपत्ति की क्षति पर मुआवजा, कानूनी और अस्पताल संबंधी खर्चों का भुगतान आदि शामिल है।