कार में भूलकर भी ना करवाएं ये बदलाव, भरना पड़ सकता है भारी-भरकम जुर्माना
भारत में कारों के मॉडिफिकेशन से जुड़े हुए कुछ नियम हैं और अगर इनका उल्लंघन किया जाता है तो आपको चालान भरना पड़ेगा ऐसे में आज हम आपको उन मॉडिफिकेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय कारों में करवाना पूरी तरह से गैरकानूनी हैं
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में ज्यादातर लोग जो कार खरीद ते हैं वे आगे चलकर अपनी कार में कई तरह के बदलाव भी करवाते हैं जिनमें एक्सटीरियर से जुड़े हुए बदलाव भी शामिल होते हैं। यह सब कार मॉडिफिकेशन के अंतर्गत आता है, हालांकि बहुत सारे लोग कई बार भूल वश अपनी कार में कुछ ऐसे बदलाव करवा लेते हैं जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। दरअसल कार मॉडिफिकेशन के चक्कर में कई बार आपको भारी-भरकम हर्जाना भी देना पड़ जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में कारों के मॉडिफिकेशन से जुड़े हुए कुछ नियम हैं और अगर इनका उल्लंघन किया जाता है तो आपको चालान भरना पड़ेगा ऐसे में आज हम आपको उन मॉडिफिकेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय कारों में करवाना पूरी तरह से गैरकानूनी हैं और अगर आप इन्हें करवाते हैं तो इस बात की भी पूरी संभावना है रहती है कि आपकी कार को सीज कर दिया जाएगा और से इसे छुड़वाने में आपको कोर्ट कचहरी के चक्कर भी काटने पर सकते हैं।
मॉडिफाई साइलेंसर लगाना
अगर आपने अपनी कार में लाउड मॉडिफाई साइलेंसर लगाया है जिससे काफी आवाज होती है तो ऐसा करने से आपकी कार का चालान कट सकता है। कारों में कंपनी-फिटेड एग्जॉस्ट पाइप में कैटेलिटिक कन्वर्टर्स होते हैं और इसलिए, वे न केवल हवा में निकलने वाले उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं बल्कि इसकी आवाज भी कम रखते हैं। ऐसे में लाउड एग्जॉस्ट लगाने से बचना चाहिए।
आफ्टर मार्केट रजिस्ट्रेशन प्लेट
भारत सरकार ने देश में चल रहे सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अनिवार्य कर दी है। ऐसा चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए किया गया है। इसलिए अब आप अपनी कार में फैंसी रजिस्ट्रेशन प्लेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इसकी वजह से आपको चालान भरना पड़ सकता है।
टिंटेड ग्लास
आपको बता दें कि कार में टिंटेड ग्लास लगाने को लेकर कुछ नियम हैं। कार में लगाए जाने वाले इस ग्लास की विजिबिलिटी 50 फीसद होने ही चाहिए और अगर विजिबिलिटी इससे भी कम है तो आपके ऊपर चालान लगाया जा सकता है और आप कानूनी चक्करों में भी फंस सकते हैं। 1988 के केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम (CMVA) के नियम 100 के अनुसार, भारत में सभी कारों की विंडस्क्रीन और पिछली खिड़कियों के शीशे की न्यूनतम दृश्यता 70% होनी चाहिए। साथ ही मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहन चलाते समय मोटर बीमा अनिवार्य है। जबकि, कारों की साइड-खिड़कियों के शीशे के लिए न्यूनतम 50% दृश्यता अनिवार्य है।
हाई डेसीबल हॉर्न
अगर आप अपनी कार में लाउड हॉर्न का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये गैरकानूनी है और इसके लिए आपको चालान भरना पड़ सकता है। भारत सरकार ने देश में चलने वाली कारों के हॉर्न के लिए दिशा-निर्देशों का एक निर्धारित सेट निर्धारित किया है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, सामान्य कारों या चार पहिया वाहनों के लिए 100 डेसिबल से अधिक के हॉर्न की अनुमति नहीं है।