कार का बेस वेरियंट खरीदें या टॉप? कन्फ्यूजन कर लीजिए दूर
हम अक्सर नई कार खरीदते समय इस सोच में पड़ जाते हैं कि इसका Top Variant खरीदें या फिर Base। ये समस्या बहुत ही कॉमन है। हमने इसको ही ध्यान मे रखते हुए कुछ सुझाव दे रहे हैं। (प्रतीकात्मक फोटो)।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। अक्सर हम जब कोई कार खरीदने की सोचते हैं तो सबसे बड़ा सवाल ये होता है कि इसका कौन सा वेरियंट खरीदा जाए। देश की सभी वाहन निर्माता कंपनियां अपनी कार्स को कई सारे ट्रिम्स में बेचती हैं। ये वेरियंट्स Base से शुरु होकर Top तक जाते हैं। अगर आप भी इस दुविधा में हैं कि Car का कौन सा वेरियंट आपके लिए सही रहेगा तो हमारे पास इसको लेकर कुछ सुझाव हैं। आइए इन्हें आपसे साझा करते हैं।
जरूरत के हिसाब से लें फैसला
वाहन लेने से पहले ये निर्धारित कर लें की आपकी जरूरतें क्या हैं। अगर आप ऐसी कार तलाश रहे हैं, जिसमें एपल कार-प्ले, एंड्रॉइड ऑटो कनेक्टिविटी, इंफोटेनमेंट सिस्टम सिस्टम और वायरलेस चार्जर जैसे फीचर्स हों तो ऐसी स्थिति में आपको टॉप वेरिंयट की ओर रुख करना पड़ेगा। वहीं, अगर आप सीमित संसाधनों के साथ काम चलाने वाले व्यक्ति हैं तो आप कार के Base Variant को भी कंसिडर कर सकते हैं।
बजट का रखें ध्यान
कार खरीदते समय सबसे पहले ये तय कर लीजिए कि आपके पास बजट कितना है। कंपनियां एक ही कार को कई सारे ट्रिम्स व दामों के साथ बेचती हैं। फर्ज करिए कि आप एक SUV खरीदना चाहते हैं जिसकी शुरुआती कीमत 10 लाख है और वो 15 लाख रुपए तक उपलब्ध है।
ऐसी स्थिति में आपको अपने बजट के अनुसार फैसला करना पड़ेगा कि आप कार के किस वेरियंट को खरीद सकते हैं। ये हमेशा ध्यान रखिए कि कंपनियां टॉप से नीचे वाले वेरियंट्स में केवल फीचर्स और इंजन को कम करती हैं। कार का इंजन सभी वेरियंट में समान ही रहता है।
सेफ्टी फीचर है बड़ा मसला
भारत सरकार की रोड सेफ्टी को लेकर सख्ती के चलते अब सभी पैसेंजर कारों में 2 एयरबैग को स्टैंडर्ड रूप से देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब ये है कि सभी कारें कम से कम 2 एयरबैग के साथ तो आएंगी ही आएंगी। वहीं अगर आप कार की सेफ्टी को लेकर ज्यादा चिंतित रहते हैं और आप अपनी कार में ADAS, पार्किंग सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे सेफ्टी फीचर्स लेना चाहते हैं तो आपका खर्चा भी बढ़ जाएगा।