इलेक्ट्रिक या सीएनजी? कौन सी कार आपके लिए होगी बेस्ट, जानिए फायदा और नुकसान
बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दाम को देखते हुए ज्यादातर लोग अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक कारों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में हमारे मन में यह सवाल आता है कि इन दोनों में कौन सबसे बेस्ट है? तो आइए जानते हैं इन गाड़ियों के फायदे और नुकसान के बारे में...
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में लोगों का झुकाव इलेक्ट्रिक और सीएनजी व्हीकल की ओर हो रहा है। पिछले पांच सालों में ऑटो इंडस्ट्री में काफी बदलाव भी देखने को मिला है। वाहन निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक और सीएनजी व्हीकल्स बनाने पर ज्यादा फोकस कर रही हैं। ग्राहकों के लिए अधिक किफायती वाहनों के विकल्प को प्राथमिकता दी गई है। इस साल की बात करें तो भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों और सीएनजी से चलने वाली कारों की बिक्री में पहले से कहीं ज्यादा तेजी देखी गई है।
जानकार बताते हैं कि इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री अभी भी देश में कुल वाहनों की बिक्री की तुलना में काफी कम है, लेकिन इसमें पिछले साल की तुलना में भारी वृद्धि देखी गई है। सीएनजी वाहनों की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है। आइए जानते हैं कि इलेक्ट्रिक और सीएनजी कार खरीदने पर हमें क्या फायदे और नुकसान होंगे?
सीएनजी गाड़ियों के फायदे
बात करें सीएनजी वाहनों या कारों की तो यह काफी समय से भारत में कंप्रेस नेचुरल गैस से चलती हैं। कई कार निर्माता कंपनियां जैसे मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर ऐसी हैं, जो सबसे ज्यादा ऐसी ही गाड़ियों की बिक्री करते हैं। सीएनजी गाड़ियों के प्रमुख फायदे में से एक है जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता की कमी और कम लागत।
सीएनजी की कीमत में हुई बढ़ोतरी के बावजूद भी वह पेट्रोल और डीजल की कीमतों से काफी कम है। पिछले एक साल में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है। लेकिन सीएनजी गाड़ियों से चलने वाले लोगों पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ा है। देश में पेट्रोल की कीमत इस समय लगभग 95 रुपये के आस-पास है, जबकि सीएनजी की कीमत 53 रुपये के आस-पास है।
सीएनजी कारों की खासियत है कि आपको इसमें पेट्रोल-डीजल से भी चलने का विकल्प मिल जाता है। यदि किसी की सीएनजी खत्म हो जाती है, तो कार को अगले सीएनजी फ्यूल स्टेशन तक ले जाने के लिए आप पेट्रोलियम का इस्तेमाल कर सकते हैं। सीएनजी से चलने वाली गाड़ियां प्रदूषण रोकने में भी सहायक हैं।
सीएनजी वाहनों के नुकसान
सीएनजी कार खरीदना हमेशा सही भी नहीं है, क्योंकि एक कार में सीएनजी किट लगने के बाद काफी ज्यादा जगह कवर हो जाती है। जो जगह आपके सामान या अलग फीचर के लिए होना चाहिए था, वह जगह सिलेंडर कवर कर लेता है। सीएनजी किट आमतौर पर कार के बूट स्पेस में लगाई जाती है, जिससे आप गाड़ी में अपना भारी सामान लोड नहीं कर सकते हैं।
दूसरी सबसे जरूरी बात है देश भर में सीएनजी स्टेशनों की उपलब्धता। अभी भी भारत के कुछ राज्यों या शहरों में सीएनजी स्टेशन खोजना मुश्किल है। आप ऐसी जगहों पर बगैर पेट्रोलियम के यात्रा नहीं कर सकते हैं। ऐसे में आपको लांग ड्राइव के बारे में हमेशा सोचना पड़ता है।
तीसरा और सबसे बड़ा कारण है गाड़ी का परफॉर्मेंश। सीएनजी का उपयोग आमतौर पर एक निश्चित अवधि के बाद वाहन के प्रदर्शन पर असर डालता है। पेट्रोल या डीजल कार के आउटपुट की तुलना में सीएनजी कार का पावर आउटपुट 10 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के फायदे
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अब प्रोत्साहन मिल रहा है। कई राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों की घोषणा की है। ये ईवी नीतियां आम तौर पर खरीदारों को इलेक्ट्रिक कारों पर स्विच करने के लिए अट्रैक्ट करती हैं। अब भी इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर कुछ स्थानों पर आरटीओ शुल्क या रोड टैक्स नहीं लगता है।
इलेक्ट्रिक वाहन चलने में सबसे सस्ते हैं। एक ईवी कार से चलने की लागत सीएनजी वाहन से भी कम है। इसके मेंटीनेंस कॉस्ट लगभग जीरो है, जो ग्राहकों को समय-समय पर सर्विसिंग कराने से मुक्ति देता है। बार-बार सर्विस कराने में आने वाला खर्च सीधे बच जाता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को उनके शून्य कार्बन उत्सर्जन के कारण दुनिया भर में पसंद किया जाता है। लगभग हर देश प्रदूषण से जूझ रहा है, ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स प्रदूषण कम करने में सबसे ज्यादा सहायक हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन के नुकसान
बात करें इसके नुकसान की तो भारत में ईवी गाड़ियां अभी भी काफी महंगी हैं। आम आदमी इसे नहीं खरीद सकता है। गाड़ी में महंगी बैटरियों के लगने का मतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत सामान्य कारों की तुलना में अधिक है। यहां तक कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की कीमत उनके ICE समकक्षों की तुलना में बहुत अधिक है।
ई-चार्जिंग स्टेशन और गाड़ी की रेंज ई-व्हीकल्स के लिए अभी भी एक चुनौती है। जो लोग ईवी में शिफ्ट करने के लिए तैयार भी हैं, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है गाड़ी की रेंज। यह चुनौती सीधे तौर पर देश में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से भी जुड़ी है। सीएनजी या पेट्रोलियम की तुलना में अभी ईलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बहुत कम और सीमित जगहों पर ही उपलब्ध हैं। अधिकांश किफायती ईवी सिंगल चार्ज पर 400 किलोमीटर से कम की रेंज देते हैं, जो लांग ड्राइव के लिए सही नहीं है।