Kaal Sarp Dosh: कालसर्प दोष लगने पर मिलते हैं ये संकेत, इन उपायों से पाएं निजात
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली के कुछ योग शुभ माने जाते हैं तो वहीं कुछ अशुभ परिणाम भी दे सकते हैं। कालसर्प दोष को एक अशुभ योग के रूप में देखा जाता है क्योंकि कुंडली में कालसर्प योग बनने पर जीवन में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। चलिए जानते हैं कि कालसर्प दोष के उपाय।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। क्या कभी ऐसा महसूस हुआ है कि सब कुछ ठीक होते हुए भी जीवन में कोई अदृश्य रुकावट है? जैसे कोई ऊर्जा बार-बार आपको पीछे खींच रही हो, सपनों में सांप दिखाई देते हों या महत्वपूर्ण काम बनते-बनते रह जाते हों? ऐसी रहस्यमयी परिस्थितियों का कारण हो सकता है कालसर्प दोष (kaal sarp dosh symptoms) एक ऐसा ज्योतिषीय योग जो जीवन के हर क्षेत्र में अनजानी बाधाएं खड़ी कर देता है।
इस दोष के निवारण के लिए कालसर्प दोष पूजा एक बेहद प्रभावशाली उपाय मानी जाती है। भगवान शिव की कृपा से की जाने वाली यह पूजा न केवल राहु-केतु देव को शांत करती है, बल्कि जीवन में ठहर चुकी ऊर्जा को फिर से प्रवाहित करती है।
कालसर्प दोष क्या होता है?
जब किसी जातक की जन्म कुंडली में राहु देव और केतु देव एक विशेष स्थिति में आ जाते हैं और सभी ग्रह इन दोनों के बीच सिमट जाते हैं तो उसे कालसर्प दोष कहा जाता है। यह दोष ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म के किसी कर्म, अपराध या श्राप का फल होता है। खासतौर पर, यदि राहु लग्न में और केतु सप्तम भाव में हो, और बाकी सभी ग्रह इन दो छाया ग्रहों के एक ओर हों तो यह योग बनता है।
इस दोष का प्रभाव क्या होता है?
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में कई तरह की मानसिक और व्यावहारिक बाधाएं आती हैं-
- सपनों में बार-बार सांप या पानी दिखाई देना।
- खुद को हवा में उड़ता देखना।
- आवश्यक कामों में बार-बार रुकावट।
- बार-बार मन बदलना और नकारात्मक सोच आना।
- पढ़ाई या करियर में ध्यान न लगना।
- कुछ लोगों में नशे की आदत भी पनपने लगती है।
इस दोष से मुक्ति कैसे पाएं?
इस दोष के निवारण के लिए कालसर्प दोष पूजा एक प्रभावशाली और पवित्र उपाय माना जाता है। भगवान शिव, जो नागों को अपने गले में धारण करते हैं, इस दोष के प्रभाव को शांत करने में सक्षम हैं। इसलिए इस दोष की पूजा में शिवजी की आराधना की जाती है।
पूजा कैसे की जाती है?
- यह पूजा सोमवार से शुरू की जाती है।
- सोने या चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को विशेष रूप से बनवाकर रुद्राभिषेक किया जाता है।
- फिर, भगवान शिव का जल, दूध, बेलपत्र आदि से अभिषेक होता है।
- इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है ।
- पूजन की शुरुआत में एक विशेष संकल्प लिया जाता है जिसमें जातक का नाम, पिता का नाम और गोत्र लिया जाता है।
- संकल्प के बाद अनुभवी पंडितगण विधिपूर्वक पूजा संपन्न करते हैं।
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कालसर्प दोष पूजा के लाभ
- रुके हुए कार्यों में प्रगति होती है
- जिन कामों में बार-बार बाधा आ रही हो, बार-बार प्रयास के बाद भी सफलता न मिल रही हो ऐसी स्थिति में यह पूजा सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। कार्यों में गति आने लगती है और सफलता मिलने के योग बनने लगते हैं।
- नौकरी, व्यवसाय और करियर से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं
- अगर नौकरी में बार-बार असफलता मिल रही हो, प्रमोशन रुक गया हो, या व्यापार में घाटा हो रहा हो तो कालसर्प दोष पूजा करने से राहु-केतु की शांति होती है, जिससे करियर में स्थिरता और उन्नति का मार्ग खुलता है।
- मानसिक तनाव, भय और चिंता से राहत मिलती है
- कालसर्प दोष से ग्रस्त जातक को अकसर बिना कारण डर, बेचैनी या निराशा घेरे रहती है। इस पूजा से चित्त को शांति मिलती है, अनजाने भय कम होते हैं और व्यक्ति खुद को मानसिक रूप से हल्का महसूस करता है।
- आत्मबल और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है
- पूजा के प्रभाव से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास लौटता है। जीवन में जो एक रुकावट या सुस्ती बनी हुई थी, वह टूटती है और नया जोश, स्थिरता व आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
- नकारात्मक स्वप्न और बुरे विचारों में कमी आती है
- यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होती है जिन्हें सपनों में बार-बार सांप, पानी या ऊंचाई से गिरने जैसे दृश्य दिखते हैं। पूजा के बाद नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और मन अधिक सकारात्मक रहता है।
- राहु-केतु देव की कृपा प्राप्त होती है
- जब इन छाया ग्रहों का दोष शांत होता है, तो भाग्य का द्वार खुलता है। राहु की दिशा में स्पष्टता और केतु की गहराई में समझ बढ़ती है, जिससे निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
यह लेख श्री आनंद सागर पाठक, astropatri.com द्वारा लिखा गया है। अपने सुझाव और प्रतिक्रियाओं के लिए आप उन्हें hello@astropatri.com पर ईमेल कर सकते हैं।
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