Rahu Gochar 2025: मायावी ग्रह राहु और केतु ने बदली अपनी चाल, एक क्लिक में जानें कैसा रहेगा प्रभाव
वर्तमान समय में राहु (Rahu Gochar 2025) कुंभ राशि में विराजमान हैं और केतु सिंह राशि में उपस्थित हैं। इससे पहले राहु मीन और केतु कन्या राशि में विराजमान थे। ऐसे में चलिए ऐस्ट्रॉलजर श्री आनंद सागर पाठक से जानते हैं कि कैसा रहेगा राहु और केतु के गोचर का प्रभाव।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। 18 मई 2025 को राहु देव और केतु देव अपने-अपने वर्तमान राशि स्थानों को छोड़कर क्रमशः कुम्भ और सिंह राशियों में प्रवेश किया है। यह गोचर अगले 18 महीनों तक प्रभावी रहेगा, यानी दिसंबर 2026 तक। इन दोनों रहस्यमयी एवं अत्यंत प्रभावशाली छाया ग्रहों का यह राशि परिवर्तन राहु-केतु गोचर 2025 के नाम से जाना जा रहा है। आइए, ऐस्ट्रॉलजर ''आनंद सागर पाठक (astropatri.com)'' इसके प्रभाव के बारे में जानते हैं।
इससे पहले कि हम यह जानें कि वर्ष 2025 का यह राहु-केतु गोचर प्रत्येक राशि के लिए कैसे प्रभाव देगा, हमें यह समझना आवश्यक है कि ज्योतिष में किसी भी गोचर का फल कैसे निकाला जाता है। नीचे उन्हीं मूल सिद्धांतों की चर्चा की गई है, जिनके आधार पर गोचर का विश्लेषण किया जाता है:
ग्रह की प्रकृति को समझना
प्रत्येक ग्रह कुछ विशेष ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे सूर्य आंखों, शासन, उच्च पदस्थ अधिकारियों, पिता आदि का प्रतिनिधि होता है। इसी प्रकार राहु और केतु किन भावों या क्षेत्रों के अधिपति हैं। इसका विवरण नीचे विस्तार से दिया गया है।
गोचर भाव का महत्व
हर भाव की अपनी विशिष्टता होती है। जैसे दशम भाव (10वां) करियर, उच्च अधिकारियों से संबंध, पुरस्कार, पिता आदि को दर्शाता है। इसलिए, जब राहु और केतु किसी विशेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो वे हर लग्न या चंद्र राशि के लिए अलग-अलग भाव में गोचर करते हैं। उस भाव की प्रकृति ही उस अवधि में मिलने वाले फलों का मुख्य विषय बनती है।
राशि की प्रकृति को समझना
हर राशि की अपनी स्वाभाविक ऊर्जा होती है। जैसे सिंह राशि एक अत्यंत अग्नि प्रधान राशि है, और केतु इसी राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए देखा जाता है कि ग्रह और राशि की ऊर्जाएं मिलती-जुलती हैं या एक-दूसरे से विपरीत।
ग्रह और राशि का संबंध
कोई ग्रह जब किसी विशेष राशि में स्थित होता है, तो उसका प्रभाव विशेष हो जाता है। जैसे मेष में स्थित सूर्य, वृषभ में स्थित सूर्य से अलग परिणाम देता है। इसी प्रकार जब केतु जैसे अग्नि तत्व प्रधान ग्रह को सिंह जैसी अग्नि प्रधान राशि में रखा जाए, तो कुल मिलाकर गर्म प्रभाव (Hotness quotient) और अधिक हो जाता है।
ग्रह पर अन्य ग्रहों की दृष्टि
जब कोई ग्रह किसी नए भाव में प्रवेश करता है, तो यह देखना आवश्यक होता है कि उस भाव पर किन ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है। हर दृष्टि एक नया दृष्टिकोण लाती है।
उदाहरण के लिए: इस राहु-केतु गोचर 2025 में राहु जब कुम्भ राशि में जाएगा, तो उस पर कर्क राशि में स्थित मंगल की आठवीं दृष्टि पड़ेगी, और जब राहु सिंह में जाएगा, तब उस पर मंगल की सातवीं दृष्टि पड़ेगी। ये सभी दृष्टियाँ महत्त्वपूर्ण होती हैं। यदि ये दृष्टियाँ मित्र ग्रहों की हों तो सहयोग देती हैं, और यदि शत्रु ग्रहों की हों तो बाधाएं ला सकती हैं।
ग्रहों के साथ युति
उसी प्रकार यह देखना भी जरूरी होता है कि गोचर करते समय कोई ग्रह किसी अन्य ग्रह के साथ युति में है या नहीं। युति का अर्थ होता है दो या अधिक ग्रहों का एक ही भाव में स्थित होना।
जैसे जब सिंह राशि में सूर्य और केतु साथ होंगे, तो वह भाव अत्यधिक ‘उष्ण’ हो जाएगा। इस युति का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि युति में शामिल ग्रह एक-दूसरे के मित्र हैं या शत्रु।
गोचर विश्लेषण के अन्य कई पहलू भी होते हैं, जिन्हें हमने अगले भाग में विस्तार से समझाया है — जब हम राहु-केतु गोचर 2025 का असर प्रत्येक लग्न या चंद्र राशि पर विश्लेषित करेंगे।
राहु–केतु गोचर 2025: सभी राशियों के लिए
2025 में राहु का कुम्भ राशि में और केतु का सिंह राशि में गोचर आपके लिए शुभ रहेगा या चुनौतीपूर्ण — यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है :
वह धुरी (Axis) जिसमें ये दोनों ग्रह आपकी कुंडली में गोचर कर रहे हैं, यानी कौन-से भाव इस गोचर से प्रभावित होंगे।
राहु और केतु सामान्यतः आपके लग्न या चंद्र राशि के लिए शुभ फल देने वाले ग्रह हैं या अशुभ फल देने वाले।
राहु और केतु का आपके लग्न या चंद्र राशि स्वामी के साथ मित्रता या शत्रुता का स्तर क्या है।
राहु और केतु का आपके नक्षत्र स्वामी के साथ मित्रता या शत्रुता का स्तर क्या है।
यह ध्यान देना आवश्यक है कि गोचर के फल सदैव जन्म कुंडली में स्थित विभिन्न ग्रहों की स्थिति, उस समय चल रही दशा-अंतर्दशा, तथा जिन भावों में ग्रह गोचर कर रहे हैं वहाँ के अष्टकवर्ग बल को देखकर ही समझे जाते हैं।
हालाँकि, राहु–केतु को छाया ग्रह माने जाने के कारण इनके लिए अष्टकवर्ग अंक निर्धारित नहीं किए जाते, अतः यह विशेषता उन पर लागू नहीं होती।
(अगर आप श्री आनंद सागर पाठक को कोई फीडबैक देना चाहते हैं तो hello@astropatri.com पर ईमेल कर सकते हैं।)
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