नाड़ी और जैमिनी ज्योतिष: आत्मा, भाग्य और ब्रह्मांड का संवाद
इस आर्टिकल में जैमिनी और नाड़ी ज्योतिष की गहराइयों को समझाया गया है। जैमिनी ज्योतिष में ग्रहों की जगह कारकों से भविष्य देखा जाता है जबकि नाड़ी ज्योतिष में माना जाता है कि भगवान शिव ने हर व्यक्ति का भविष्य नाड़ी पत्रों में लिख दिया है। नाड़ी पत्रों में भूत वर्तमान और भविष्य की सटीक जानकारी मिलती है। ये प्राचीन पद्धतियां आज भी जीवन को सही दिशा दिखाती हैं।

आलोक भटनार, एस्ट्रोपत्री। यह लेख आपको भारतीय ज्योतिष की दो रहस्यमयी और गहरी पद्धतियों जैमिनी ज्योतिष और नाड़ी ज्योतिष से परिचित कराता है। जैमिनी ज्योतिष में ग्रहों की जगह कारकों और राशियों के आधार पर भविष्य देखा जाता है, जबकि नाड़ी ज्योतिष में माना जाता है कि भगवान शिव ने पहले से ही हर इंसान के जीवन की कहानी नाड़ी पत्रों में लिख दी है। इस लेख में आप जानेंगे कि आत्म कारक से दारा कारक तक हर ग्रह हमारे जीवन की एक खास भूमिका निभाता है, और कैसे नाड़ी पत्रों में हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य की सटीक बातें छुपी होती हैं। ये दोनों पद्धतियां हमारे प्राचीन ज्ञान की अमूल्य धरोहर हैं, जो आज भी हमें जीवन की सही दिशा दिखाती हैं।
नाड़ी ज्योतिष
भगवान शिव को जहां एक ओर संहारकर्ता के रूप में जाना जाता है, वहीं वे अनेक दिव्य विद्याओं के जनक भी माने जाते हैं, जिन्हें हर युग में मानवता ने मार्गदर्शन के रूप में अपनाया है। योग इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इसी प्रकार एक मान्यता के अनुसार, मां पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने नाड़ी पत्रों की रचना की थी जिनमें हर मानव के जीवन की भविष्यवाणियां लिखी गईं।
बाद में सप्तऋषियों में से एक महर्षि भृगु ने इस ज्ञान को और आगे बढ़ाया और विस्तारित किया। इस कारण नाड़ी ज्योतिष को ज्योतिष की सबसे प्राचीन परंपरा माना जाता है। यह पद्धति विशेष रूप से चोल वंश (लगभग 10वीं सदी) में अत्यंत लोकप्रिय रही। दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु के विद्वानों ने इसे आगे बढ़ाया, और इसी कारण कभी-कभी इसे तमिल ज्योतिष भी कहा जाता है।
यह भी पढ़ें: आपकी कुंडली के 12 भाव: सफलता, संघर्ष और स्वभाव का रहस्य
दुर्भाग्यवश, समय के साथ-साथ बहुत-से मूल नाड़ी पत्र नष्ट हो गए और इसके लिए 1193 ई. में बख्तियार खिलजी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया जाना भी एक बड़ा कारण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिन भाग्यशाली लोगों को उनका नाड़ी पत्र मिल जाता है, उन्हें अपने भूत, वर्तमान और भविष्य की अत्यंत सटीक जानकारी मिलती है और यह अनुभव कई लोगों के लिए जीवन बदलने वाला साबित होता है। नाड़ी ज्योतिष, एक दिव्य संकेत है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही हमारे जीवन की दिशा किसी अदृश्य चेतना से जुड़ी रही है।
जैमिनी ज्योतिष
जैमिनी ज्योतिष की स्थापना महर्षि जैमिनी ने की थी। उन्हें महर्षि पराशर के शिष्य माना जाता है, और कुछ स्थानों पर उन्हें उनका पौत्र (पोता) भी कहा गया है। यह पद्धति पराशरी ज्योतिष से अलग दृष्टिकोण अपनाती है। जहां पराशरी प्रणाली ग्रह आधारित दशा प्रणाली (जैसे विनशोत्तरी दशा) पर आधारित है, वहीं जैमिनी प्रणाली में राशियों पर आधारित दशाएं अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
इस प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं:-
भविष्यवाणी के लिए मुख्य रूप से 7 ग्रहों (सूर्य से शनि तक, राहु-केतु को छोड़कर) का उपयोग किया जाता है।
जैमिनी कारक (Jaimini Karakas):
कारक | अर्थ | ग्रह चयन का आधार |
आत्म कारक (AK) | आत्मा, स्वभाव, मूल प्रकृति | सबसे अधिक अंश वाला ग्रह |
अमात्य कारक (AmK) | करियर, सलाह, सहयोगी | दूसरे अधिक अंश वाला ग्रह |
भ्रात्र कारक (BK) | भाई-बहन, संवाद | तीसरे अधिक अंश वाला ग्रह |
मात्र कारक (MK) | माता, पालन-पोषण | चौथे अधिक अंश वाला ग्रह |
पुत्र कारक (PK) | संतान, रचनात्मकता | पांचवे अधिक अंश वाला ग्रह |
ज्ञाति कारक (GK) | रोग, शत्रु, बाधा | छठे अधिक अंश वाला ग्रह |
दारा कारक (DK) | जीवनसाथी, संबंध | सातवें अधिक अंश वाला ग्रह |
लेखक: आलोक भटनागर, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।