विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

Panchang: इन पांच अंगों से मिलकर बनता है पंचांग, जीवन को इस तरह बनाता है सरल

Updated: Tue, 07 Oct 2025 04:06 PM (IST)

पंचांग एक हिंदू कैलेंडर है जिसमें समय या काल गणना की जाती है। यह लेख पंचांग के अर्थ उसके पांच अंगों और उसके महत्व को सरल भाषा में समझाने का प्रयास है ताकि आप भी हर दिन को सही दिशा में जीने की शक्ति पा सकें। ऐसे में चलिए एस्ट्रोलॉजर दिव्या गौतम से जानते हैं इस बारे में।

Hero Image
Panchang: यहां जानें पंचांग के 5 अंग।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे ऋषि-मुनि किस आधार पर शुभ मुहूर्त चुनते थे? या क्यों हर पूजा, व्रत और विवाह से पहले 'पंचांग देखने' की बात की जाती है? पंचांग (Panchang) केवल कोई ज्योतिषीय कैलेंडर नहीं, बल्कि हमारे जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ तालमेल में लाने वाला प्राचीन विज्ञान है। 

विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पंचांग क्या होता है?

‘पंचांग’ शब्द संस्कृत के दो मूल शब्दों से मिलकर बना है ‘पंच’ अर्थात ‘पांच’ और ‘अंग’ अर्थात ‘भाग’। इस प्रकार पंचांग का शाब्दिक अर्थ है पांच अंगों से युक्त समय का ज्ञान देने वाला ग्रंथ।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में समय को केवल घड़ी की सुइयों या तारीखों से नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय घटनाओं और खगोलीय गणनाओं से मापा जाता है। पंचांग उन पांच प्रमुख खगोलीय घटकों का विस्तृत विवरण है जो हर दिन की ऊर्जा, शुभता और प्रकृति को निर्धारित करते हैं।

ये हैं पंचांग के 5 अंग-

  • तिथि (चंद्र दिवस) – चंद्रमा के घटने-बढ़ने का दिन।
  • वार (दिन) – सोमवार से रविवार तक के दिन।
  • नक्षत्र – चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है।
  • योग – सूर्य और चंद्र की स्थिति से बनने वाले विशेष संयोग।
  • करण – तिथि का आधा भाग, जो शुभ-अशुभ कार्यों का संकेत देता है।

पंचांग क्यों विशेष है?

जिस प्रकार मौसम बदलने पर हम अपने वस्त्र, आहार-विहार और दिनचर्या में बदलाव करते हैं, उसी तरह ब्रह्मांड में भी निरंतर ऊर्जा का प्रवाह बदलता रहता है। सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की गति हमारे जीवन पर सूक्ष्म लेकिन गहरा प्रभाव डालती है। पंचांग (Panchang) इन ब्रह्मांडीय परिवर्तनों को समझने और उनके अनुरूप अपने कार्यों को ढालने का एक शक्तिशाली माध्यम है।

पंचांग हमें बताता है कि कब ऊर्जा का प्रवाह हमारे अनुकूल है  यानी कब कोई कार्य आरंभ करने से सफलता, समृद्धि और शांति मिलने की संभावना अधिक है। यह न केवल शुभ और अशुभ समय की पहचान कराता है, बल्कि हमारे अंदर आंतरिक लय और प्रकृति की लय के बीच सामंजस्य भी स्थापित करता है।

यह मात्र भविष्य बताने का उपकरण नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक है, जो हर दिन को समझदारी, श्रद्धा और सजगता से जीने की कला सिखाता है। पंचांग हमें यह सिखाता है कि जीवन की प्रत्येक घड़ी ब्रह्मांड के साथ जुड़ी है और जब हम इस लय को समझते हैं, तो हमारा जीवन भी शांत, सफल और समृद्ध बनता है।

पंचांग में क्या-क्या पढ़ें?

  • आज की तिथि कौन सी चल रही है?
  • कौन सा नक्षत्र है?
  • आज का वार क्या है?
  • कौन-सा योग बन रहा है?
  • कौन-से करण हैं?
  • शुभ समय क्या है? (अभिजीत मुहूर्त, अमृत काल)
  • अशुभ समय क्या है? (राहुकाल, गुलिक काल और यमगण्ड काल)
  • चंद्रमा किस राशि में है?

समापन -

पंचांग केवल तिथियों की सूची नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की लय से जुड़ने का एक माध्यम है। यह हमें बताता है कि किस दिन, किस समय कौन-सा कार्य करना हमारे लिए शुभ रहेगा। जब हम पंचांग के अनुसार दिन की शुरुआत करते हैं, तो हम समय, प्रकृति और ईश्वर तीनों के साथ तालमेल बनाते हैं। यही तालमेल हमें जीवन में सफलता, शांति और संतुलन देता है।

लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए  hello@astropatri.com पर संपर्क करें।