Shraddha Murder Case: आफताब के हिंसक स्वभाव के बारे में जानते थे परिजन, श्रद्धा को ऐसे मना लिया था
Shraddha Murder Case परिजन आफताब के हिंसक स्वभाव के बारे में जानते थे। उन्होंने श्रद्धा को शिकायत वापस लेने के लिए मना लिया था। आफताब ने दिल्ली में श्रद्धा की निर्मम हत्या कर उसके शव के टुकड़ों को महरौली इलाके में जंगल में फेंक दिया था।
मुंबई, मिडडे। Shraddha Murder Case: आफताब पूनावाला के माता-पिता हर सप्ताह के अंत में मुंबई के वसई में उस फ्लैट में जाते थे, जहां वह श्रद्धा के साथ रहता था। परिजन आफताब के हिंसक स्वभाव के बारे में जानते थे। उन्होंने श्रद्धा को शिकायत वापस लेने के लिए मना लिया था। आफताब ने दिल्ली में श्रद्धा की निर्मम हत्या कर उसके शव के टुकड़ों को महरौली इलाके में जंगल में फेंक दिया था।
अमीन ने श्रद्धा को शिकायत वापस लेने के लिए मना लिया था
श्रद्धा के टीम लीडर करण बी ने बताया कि अमीन ने उन्हें अपनी शिकायत वापस लेने के लिए मना लिया था। करण ने बताया कि यह अमीन की रणनीति थी कि वह माफी मांगे और उसे आफताब के खिलाफ लिखित शिकायत वापस लेने के लिए राजी करे, नहीं तो वह कानूनी पचड़े में फंस जाता। अगर नवंबर, 2020 में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई होती। करण ने कहा कि अमीन जानते थे कि उनका बेटा स्वभाव से हिंसक है, तो उन्हें श्रद्धा को उसे हमेशा के लिए छोड़ने के लिए कहना चाहिए था। लेकिन अमीन ने ऐसा नहीं किया। श्रद्धा को आफताब माता-पिता ने उसे दूसरा मौका देने के लिए कहा और वह आश्वस्त हो गई, क्योंकि वह उसका जीवन खराब नहीं करना चाहती थी, जिसे वह प्यार करती थी।
श्रद्धा से मारपीट कर धमकी देता था आफताब
तुलिंज पुलिस स्टेशन में 23 नवंबर, 2020 को दर्ज की गई एक पेज की शिकायत के अनुसार, आफताब उसे बुरी तरह से पीट रहा था और उसे जान से मारने और टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी भी देता था। श्रद्धा ने अपने शिकायत पत्र में दावा किया था कि वह पिछले छह महीनों से घरेलू हिंसा का शिकार थी और आफताब के माता-पिता उनके लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में जानते थे। शिकायत में उसने यह भी उल्लेख किया था कि आफताब के माता-पिता जानते हैं कि उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा उसके साथ क्रूरता से मारपीट की गई।
तो श्रद्धा ऐसे आदमी के साथ क्यों रही
लीलावती हास्पिटल की क्लिनिकल साइकोलाजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डा वर्खा चुलानी ने कहा कि तो अगर आफताब में गुस्से और अनियंत्रित हिंसा की प्रवृत्ति थी, तो यह उसके माता-पिता का कर्तव्य था कि वह उसकी इस स्थिति का मूल्यांकन और इलाज करवाए। भारत में लोगों की अपने बच्चों में आक्रामक व्यवहार को नजरअंदाज करने और वो गुस्सा करने वाला है। जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने और बुरे व्यवहार को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति वास्तविक मनोवैज्ञानिक चुनौतियों की पहचान न करने की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि एक सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए कि श्रद्धा ऐसे आदमी के साथ क्यों रही। क्या यह उसकी जिम्मेदारी नहीं थी कि वह अपने प्रेमी की इतनी खतरनाक प्रवृत्तियों को महसूस करने के बाद खुद को सुरक्षित रखे। कोई भी हमें कुछ भी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। जब हम चुनाव करते हैं तो हमें उन विकल्पों को भुगतना पड़ता है। हर लड़की के लिए यह पूछना जरूरी है कि मैं प्यार के लिए इतनी बेताब क्यों हूं कि मैं खुद को गंदगी की तरह ट्रीट होने देती हूं।
नशे का आदी था आफताब
केम्प्स कार्नर की एक अन्य मनोवैज्ञानिक डा. आरती श्राफ ने कहा कि माता-पिता को पहले यह पहचानना चाहिए कि क्या व्यक्ति को क्रोध की समस्या है और वह व्यवहार और क्रिया पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा है, क्या वह दूसरों के प्रति हिंसक है। इन बातों को पहचानते हुए उसके साथ बातचीत करनी चाहिए। माता-पिता को बच्चे को अपने व्यवहार को सुधार करने और अपने क्रोध से निपटने के लिए कुछ पेशेवर मदद की आवश्यकता होगी। वाकर के दोस्तों ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि आफताब नशे का आदी था। डा श्राफ ने कहा कि ड्रग्स एक व्यक्ति के आक्रामक व्यवहार में योगदान करते हैं। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा किसी भी प्रकार का नशीला पदार्थ नहीं ले रहा है।