Move to Jagran APP

Mumbai News: ड्यूटी के दौरान सोने के कारण बर्खास्त सीआइएसएफ गार्ड को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

Mumbai News बांबे हाई कोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक कांस्टेबल को नागपुर में मौदा थर्मल पावर प्लांट में ड्यूटी के दौरान सोने के कारण नौकरी से बर्खास्त किए जाने पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया।

By AgencyEdited By: Sachin Kumar MishraPublished: Wed, 23 Nov 2022 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 05:23 PM (IST)
Mumbai News: ड्यूटी के दौरान सोने के कारण बर्खास्त सीआइएसएफ गार्ड को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत
ड्यूटी के दौरान सोने के कारण बर्खास्त सीआइएसएफ गार्ड को बांबे हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत। फाइल फोटो

मुंबई, एजेंसी। Mumbai News: महाराष्ट्र में बांबे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)  के एक कांस्टेबल को नागपुर (Nagpur) में मौदा थर्मल पावर प्लांट (Mauda Thermal Power Plant) में ड्यूटी के दौरान सोने के कारण नौकरी से बर्खास्त किए जाने पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही, कोर्ट ने उसकी याचिका भी खारिज कर दी। 

loksabha election banner

जानें, क्या है मामला

प्रेट्र के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने मंगलवार को क्यताले संतोष रमेश द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। संतोष रमेश को अनुशासनहीनता और ड्यूटी पर सोने के लिए मार्च, 2021 में सीआइएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया था। संतोष रमेश नागपुर के थर्मल पावर प्लांट के एक वाच टावर में गार्ड के पद पर तैनात था। उसके वरिष्ठ ने उसे रात की ड्यूटी के दौरान सोते हुए पाया था। इससे पहले भी उसे अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही के लिए चेतावनी दी गई थी। संतोष रमेश ने अपनी याचिका में दावा किया कि ड्यूटी से बर्खास्तगी की सजा उसके द्वारा किए गए कथित अपराध की गंभीरता के अनुपात में नहीं है।

कोर्ट ने की ये टिप्पणी

पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता यह साबित करता कि नींद पर नियंत्रण नहीं रख पाने के कारण वह ड्यूटी पर सोया था, तो उसके बारे में सहानुभूतिपूर्वक फैसला किया जा सकता था। कोर्ट ने कहा कि उसके खिलाफ साबित होने वाले तथ्य काफी स्पष्ट हैं। याचिकाकर्ता एक सार्वजनिक महत्व के संयंत्र की सुरक्षा के लिए सौंपे गए एक अनुशासित बल का सदस्य होने के बावजूद रात की ड्यूटी के दौरान गहरी नींद में पाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह याचिकाकर्ता की ओर से अपने आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करते समय लापरवाही का अकेला मामला नहीं था। इससे पहले में भी उसे लापरवाह पाया गया था और उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। पीठ ने राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक आदतन अपराधी है।

यह भी पढ़ेंः प्रेमिका से दुष्कर्म के आरोपित को जमानत, कोर्ट ने कहा- परिणाम समझने में सक्षम थी नाबालिग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.