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Eknath Shinde Untold Story: बेटा-बेटी की मौत देख राजनीति छोड़ चुके थे शिंदे, जानें उद्धव की कुर्सी हिलाने वाले एकनाथ की पूरी कहानी

एकनाथ शिंदे की जिंदगी में एक पल ऐसा भी आया था जब वे पूरी तरह टूट चुके थे। ऐसा हुआ था आज से 22 साल पहले जून महीने में। सतारा में हुए नाव हादसे में उनकी आंखों के सामने उनके बेटा बेटी की डूबने से मौत हो गई थी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jun 2022 11:08 PM (IST)
Eknath Shinde Untold Story: बेटा-बेटी की मौत देख राजनीति छोड़ चुके थे शिंदे, जानें उद्धव की कुर्सी हिलाने वाले एकनाथ की पूरी कहानी
महाराष्ट्र में सियासी भूचाल लाने वाले बागी शिवसैनिकों के नेता एकनाथ शिंदे

मुंबई, आनलाइन डेस्क। महाराष्ट्र में सियासी भूचाल लाने वाले बागी शिवसैनिकों के नेता एकनाथ शिंदे की जिंदगी में एक पल ऐसा भी आया था, जब वे पूरी तरह टूट चुके थे। राजनीति समेत सबकुछ छोड़ने का फैसला ले लिया था। ऐसा हुआ था आज से 22 साल पहले जून महीने में। सतारा में हुए नाव हादसे में उनकी आंखों के सामने उनके बेटा बेटी की डूबने से मौत हो गई थी। उनके राजनीतिक गुरु शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दीघे ही उन्हें वापस राजनीति में लाए थे।

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शुरुआत में एकनाथ शिंदे ठाणे में ऑटो चलाते थे

महाराष्ट्र के सतारा जिले में 9 फरवरी 1964 को जन्में एकनाथ शिंदे ने ठाणे शहर में आने के बाद 11वीं कक्षा तक मंगला हाई स्कूल और जूनियर कालेज, ठाणे से पढ़ाई की। शुरुआत में एकनाथ शिंदे ठाणे में ऑटो चलाते थे। आनंद दीघे से प्रभावित होकर 1980 के दशक में उन्होंने शिवसेना ज्वाइन की। जब 2001 में दीघे का निधन हुआ तो शिवसेना में उनकी विरासत एकनाथ शिंदे ने संभाली। 1980 के दशक में एकनाथ को शिवसेना में किसान नगर का शाखा प्रमुख नियुक्त किया गया और तभी से वे पार्टी द्वारा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर कई आंदोलनों में सबसे आगे रहे।

2004 में पहली बार पहुंचे विधानसभा

साल 1997 में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को शिवसेना ने ठाणे नगर निगम चुनाव में पार्षद का टिकट दिया और उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की. 2001 में वह ठाणे नगर निगम में सदन के नेता के रूप में चुने गए और 2004 तक इस पद पर बने रहे। साल 2004 में एकनाथ शिंदे को बालासाहेब ठाकरे ने ठाणे विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया और उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की। साल 2005 में शिवसेना ठाणे जिला प्रमुख के प्रतिष्ठित पद पर एकनाथ शिंदे को नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने साल 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल किए।

2014 में चुने गए विधायक दल के नेता

साल 2014 के चुनावों के बाद एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया। अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में वे विपक्ष के नेता रहे। 2014 में ही महाराष्ट्र राज्य सरकार में PWD के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए। 2019 में कैबिनेट मंत्री सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) का पद मिला। यह भी माना जाता है कि वह ठाणे में लोगों से अपने बेहतर संपर्क एवं जनसेवा के कारण ही जीतकर आते हैं।

बागी क्यों हुए शिंदे ?

2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान शिंदे को उम्मीद थी कि ठाकरे परिवार स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की परंपरा का निर्वाह करते हुए स्वयं मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनेगा। लेकिन पहले आदित्य ठाकरे के खुद विधानसभा चुनाव लड़ जाने और फिर उद्धव ठाकरे द्वारा कांग्रेस-राकांपा जैसे धुर विरोधी विचारों वाली पार्टियों से हाथ मिलाकर खुद मुख्यमंत्री बन जाने के बाद शिंदे को शिवसेना में अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा। उनकी बगावत का एक और बड़ा कारण शिवसेना का हिंदुत्व के एजेंडे से भटकना भी माना गया। शिवसेना की सहयोगी पार्टी राकांपा का ठाणे में रिकार्ड हिंदू विरोधी ही रहा है। ठाणे में उसके नेता जीतेंद्र आह्वाड के कंधे से कंधा मिलाकर चलना एकनाथ शिंदे के लिए संभव नहीं हो पाना भी उनकी बगावत का एक कारण माना जा रहा है।


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