गुजरात में लव जिहाद के पहले मुकदमे का कोर्ट से बाहर निपटारा, समझौते के बाद हाईकोर्ट ने रद की एफआइआर
गुजरात विधानसभा से धार्मिक स्वतंत्रता कानून पारित कर उसको अमल में लाने के बाद जून 2021 में वडोदरा शहर के गौत्री पुलिस थाने में लव जिहाद का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन आपसी समझौते के बाद उच्च न्यायालय ने आरोपी 6 जनों के खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद: गुजरात में धार्मिक स्वतंत्रता कानून लागू होने के बाद जून 2021 में वडोदरा शहर के गौत्री पुलिस थाने में दर्ज लव जिहाद के पहले मुकदमे का अदालत के बाहर निपटारा हो गया। आपसी समझौते के बाद गुजरात हाई कोर्ट आरोपितों के खिलाफ एफआइआर को रद कर दिया। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस निरल मेहता की एकल पीठ ने समीर कुरैशी और पांच अन्य के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद कर दिया।
दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता
कुरैशी के खिलाफ प्राथमिकी को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, दोनों पक्षों के बीच एक सौहार्दपूर्ण समझौता हो गया है और वे (शिकायतकर्ता और आरोपित) साथ रह रहे हैं। मामले को देखते हुए आपराधिक कार्यवाही को आगे जारी रखने से उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। अदालत ने उस समझौते को स्वीकार कर यह फैसला सुनाया। उल्लेखनीय है कि समीर ने हाई कोर्ट के समक्ष प्राथमिकी को रद करने के लिए याचिका दायर की थी। उसकी पत्नी दिव्याबेन ने अदालत को बताया कि इस मामले में लव जिहाद का तथ्य पुलिस ने जोड़ दिया था। उसके पति पर लगे आरोप गलत थे और उसने कभी इस तरह के आरोप नहीं लगाए। दिव्या ने अदालत को बताया कि उसे मतांतरण के लिए मजबूर नहीं किया गया था।
शिकायत के बाद बदला बयान
सरकारी वकील अनिल देसाई ने बताया कि अपने पति के खिलाफ शिकायत करने के बाद से ही दिव्याबेन ने अपना बयान बदलना शुरू कर दिया था। इसके बाद दिव्या ने शपथपत्र दायर कर कहा था कि वह समीर की जमानत अर्जी का समर्थन करती है और उसकी जमानत के खिलाफ नहीं है। हालांकि मामले को देखते हुए अदालत ने उस शपथपत्र को स्वीकार नहीं कर जमानत अर्जी को टाल दिया था।
धर्म छिपाने के लगाए थे आरोप
मामले में तत्कालीन पुलिस उपायुक्त जयराजसिंह वाला ने बताया कि दिव्या ने आरोप लगाया था कि समीर ने अपना धर्म छिपाया था, उसने खुद को एक ईसाई बताकर उससे दोस्ती की थी। उनकी तस्वीरों का दुरुपयोग करते हुए उसने ब्लैकमेल किया और कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने आरोप लगाया है कि उसे शादी करने के लिए मजबूर किया गया था और बाद में उसने और उसके परिवार ने उसे मतांतरण के लिए मजबूर किया। दिव्या ने यह भी बताया था कि समीर के परिवार के सदस्य उसे बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रहे थे, दिव्या के बयान बदल लेने से अब मुकदमे का निपटारा कर दिया गया।