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बदकिस्‍मत पाकिस्‍तान के लिए ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम कर रहे इमरान खान!

नए पाकिस्‍तान का सपना दिखाने वाले इमरान खान ने अब लोगों की हर उम्‍मीद पर पानी फेर दिया है। आंकड़े बता रहे हैं कि कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्‍तान में कैसी है लोगों की हालत।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 10:51 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 07:12 PM (IST)
बदकिस्‍मत पाकिस्‍तान के लिए ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम कर रहे इमरान खान!
बदकिस्‍मत पाकिस्‍तान के लिए ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम कर रहे इमरान खान!

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान के लिए वर्ल्‍ड कप जीतने वाले इमरान खान देश के आर्थिक और राजनीतिक मंच पर बुरी तरह से विफल साबित हुए हैं। आलम ये है कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से पाकिस्‍तान को सबसे बुरे दिन देखने को मिले हैं। देश की विपक्षी पार्टियां लगातार उन्‍हें हर मोर्चे पर विफल साबित कर रही हैं। सेना के साथ उनके रिश्‍ते बहुत अच्‍छे नहीं हैं। अब तो यहां तक आवाजें आ रही हैं कि सेना कहीं न कहीं इमरान के समकक्ष किसी दूसरे चेहरे को राजनीतिक मंच पर लाने की कोशिश कर रही है। कुछ दिन पहले क्रिकेटर शाहिद अफरीदी का गुलाम कश्‍मीर में दिया गया भाषण इसकी ही एक कड़ी माना जा रहा है।

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गौरतलब है कि इमरान खान ने पाकिस्‍तान की कमान अगस्‍त 2018 में संभाली थी। उससे पहले ही नवाज शरीफ को देश की सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्‍य घोषित किया था। उस समय कहा जा रहा था कि सेना नवाज से नाखुश थी इसलिए इमरान के कंघों पर चढ़कर सत्‍ता पर काबिज होना चाहती थी। ये इसलिए भी एक सच्‍चाई है क्‍योंकि पाकिस्‍तान में सेना किसी भी सरकार को बनाने और गिराने में सबसे अहम जिम्‍मेदारी निभाती आई है। इमरान खान जब सत्‍ता में आए थे तो उन्‍होंने एक नया पाकिस्‍तान बनाने का जो वादा किया था आज वह जमीनी हकीकत से कोसों दूर है।

इमरान के दौर में बेकाबू महंगाई

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में महंगाई की दर बेतहाशा बढ़ी है। खाने-पीने की जरूरी चीजें 2018 के मुकाबले कई गुणा बढ़ चुकी हैं। Statista.com के मुताबिक 2016 में देश में मुद्रास्फिति की दर 2.86 फीसद थी जो इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद (2018) 3.96 फीसद हो गई। 2019 में यही दर बढ़कर 6.76 फीसद हो गई थी। 2019 के अंत में ये दर इमरान खान से इस कदर बेकाबू हुई कि 2020 पहली तिमाही में ही 11 फीसद को पार कर गई। ये महज कुछ आंकड़े नहीं हैं जो इमरान खान की उन नीतियों को गलत नहीं ठहरा रहे हैं जो उन्‍होंने बनाईं बल्कि उस सच्‍चाई को भी उजागर कर रहे हैं जिनका खामियाजा पाकिस्‍तान आज भुगत रहा है।

जीडीपी की दर

नया पाकिस्‍तान पाकिस्‍तान बनाने का वादा करने वाले इमरान खान के कार्यकाल में देश अपने पांव पर खड़ा होने के बजाए अपने ही घुटनों पर टिक गया। उनके इस कार्यकाल में देश का सकल घरेलू उत्‍पाद भी इस कदर धड़ाम हुआ कि माइनस या ऋणात्‍मक हो गया। आंकड़े बताते हैं कि जिस वक्‍त नवाज शरीफ को कोर्ट ने हटाया और इमरान ने देश की सत्‍ता को अपने हाथों में लिया उस वक्‍त देश की जीडीपी 5.56 फीसद थी जो वर्ष 2014 के बाद सबसे बेहतर स्थिति में थी। लेकिन उनके सत्‍ता पर काबिज होने के अगले ही वर्ष यानी 2019 में ये 3.29 फीसद हो गई। मौजूदा साल (2020) में तो ये दर शून्‍य से लगभग डेढ़ फीसद तक नीचे चली गई है। एक अनुमान के मुताबिक अगले वर्ष तक ये महज 2 फीसद ही रहेगी।

पाकिस्‍तान में बेरोजगारी की दर

इमरान खान के इस कार्यकाल में केवल इंफ्लेशन रेट ही हाई नहीं हुआ बल्कि लोगों के काम धंधे भी चौपट हो गए। उनकी गलत नीतियों की बदौलत लाखों की तादात में लोग बेरोजगार हुए हैं। पाकिस्‍तान ब्‍यूरो ऑफ स्‍टेटिसटिक्‍स (PBS) के मुताबिक 2015 में बेरोजगारी की दर 5.94 फीसद थी जो जून 2018 में गिरकर 5.79 फीसद हो गई थी। अगस्‍त 2018 में इमरान खान ने पीएम पद की शपथ ली थी। इन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2003 में देश में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक 8.27 थी जबकि 1986 में ये सबसे कम 3.04 फीसद रही थी। पीबीएस के इन आंकड़ों में ताजा आंकड़े शामिल नहीं हैं लेकिन पाकिस्‍तान के अखबार द डॉन की 2019 में छपी एक खबर के मुताबिक इमरान खान ने पांच वर्ष के कार्यकाल में एक करोड़ नौकरियां देने का जो वादा चुनाव से पहले किया था उसपर विश्‍वास कर पाना लगभग नामुमकिन है।

इस बात की तसदीक इससे भी हो सकती है कि पाकिस्‍तान में मौजूदा समय में बेरोजगारी की दर 6 फीसद से अधिक है और 30 फीसद से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है। आपको बता दें कि ये आंकड़े पीएम इमरान खान के उस भाषण का हिस्‍सा हैं जो उन्‍होंने कोविड-19 से लड़ने के लिए अपने देशवासियों को दिया था। इसमें उन्‍होंने इन बातों का जिक्र उस संदर्भ में किया था जिसमें देश में लगातार लॉकडाउन करने की मांग उठ रही थी और इमरान को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। उन्‍होंने तब कहा था कि वे ऐसा इसलिए नहीं कर सकते हैं क्‍योंकि देश के सामने कई बड़ी आर्थिक चुनौतियां खड़ी हैं। यदि ऐसा किया गया तो लोग भूखों मरने लगेंगे।

कर्ज के बोझ में दबा पाकिस्‍तान

इमरान खान के इस नए पाकिस्‍तान में जीडीपी की दर का इस कदर गिरना, बेरोजगारी और इंफ्लेशन रेट के तेजी से बढ़ने का सीधा असर देश के ऊपर बढ़ते कर्ज के रूप में सामने आया। सीईआईसी के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्‍तान में जून 2006 में 37.2 बिलियन का कर्ज था जो 2020 में सबसे अधिक 111 बिलियन डॉलर हो चुका है। स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍ताान के आंकड़े इस बात की तसदीक कर रहे हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इमरान खान के सत्‍ता में आने से पहले कर्ज की ये रकम 95 बिलियन डॉलर की थी। इमरान खान ने जो सपने अपने पीएम चुने जाने से पहले दिखाए थे ये आंकड़े उनकी सच्‍चाई बयां करने के लिए काफी हैं। आपको अंत में ये भी बता दें कि वर्तमान में पूरी दुनिया कोविड-19 की वजह से आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर है। लेकिन इसमें भी पाकिस्‍तान की मजबूरियां दूसरे देशों से कहीं ज्‍यादा ही हैं।

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