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ग्रे लिस्ट में बरकरार रखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लेकर दिया ये बड़ा बयान

वित्तपोषण पर नजर रखने वाली एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को इस वर्ष अक्‍टूबर तक के लिए ग्रे लिस्‍ट में ही रख दिया है। हालांकि भारत की कोशिश थी कि पाकिस्‍तान को काली सूची में डाला जाए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 11:59 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:55 AM (IST)
ग्रे लिस्ट में बरकरार रखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लेकर दिया ये बड़ा बयान
ग्रे लिस्ट में बरकरार रखते हुए एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लेकर दिया ये बड़ा बयान

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद पर नजर रखनेवाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टेकन फोर्स (एफएटीएफ) ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए पाक से कार्रवाई के लिए कहा है। यही नहीं संस्था ने कहा कि आतंकियों की पनाहगाह बन चुका पाकिस्तान इसे लेकर गंभीर नहीं दिखता। जरूरत है कि अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों पर सख्त एक्शन लिया जाए। इस तरह से पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ पुलवामा हमले को लेकर हो रही चौतरफा किरकिरी से बचने के लिए पाकिस्‍तान ने एक बार फिर से दिखावे का चोंगा ओढ़ लिया है। उसने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। जेयूडी की चैरिटी शाखा फलह-ए-इंसानियत पर भी पाबंदी लगाई गई है। जेयूडी लगभग तीन सौ मदरसे और स्कूल, अस्पताल और प्रकाशन घर चलाता है। उसके दोनों संगठनों में करीब 50 हजार से ज्यादा वालेंटियर और सैकड़ों कर्मचारी हैं। 

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पाक की छिपी मंशा
पाकिस्‍तान के इस कदम के पीछे छिपी मंशा को जान लेना बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को इस वर्ष अक्‍टूबर तक के लिए ग्रे लिस्‍ट में ही रख दिया है। हालांकि भारत की कोशिश थी कि पाकिस्‍तान को काली सूची में डाला जाए। इससे पहले पिछले वर्ष भी इस संस्‍था ने उसे ग्रे लिस्‍ट में डाला था। एफएटीएफ ने इस पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए यहां तक कहा कि पाकिस्‍तान आतंकवादी संगठन अल कायदा, जमात उद दावा, लश्‍कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्‍मद और तालिबान से जुड़े आतंकियों से जुड़े खतरों के बारे में नहीं जानता है। पाकिस्‍तान को चाहिए कि वह इनको रोकने के एक्‍शन प्‍लान पर काम करे। इस संस्‍था ने यह भी कहा कि जनवरी 2019 तक पाकिस्‍तान द्वारा इस संबंध में कुछ खास नहीं किया गया है। संस्‍था ने आरोप लगाया है कि पाकिस्‍तान मई 2019 तक के टार्गेट को पाने के लिए और एक्‍शन प्‍लान पर काम करने मे कौताही बरत रहा है।

आतंकी फंडिंग का आरोप
आपको यहां पर बता दें कि एफएटीएफ ने पिछले साल पाकिस्तान को निगरानी सूची में शामिल किया था। पाकिस्तान पर भारत समेत तमाम देशों ने आतंकी फंडिंग का आरोप लगाया था और इसके सबूत भी पेश किये गए थे कि किस तरह लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन वहां खुलेआम चंदा वसूल रहे हैं और बैंकिंग सिस्टम का भी उपयोग कर रहे हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित कर रखा है। यहां पर ये भी बता दें कि  पिछली बार जब एफएटीएफ में इस बारे में बहस हुई थी तब भी पाकिस्‍तान ने इसी तरह का कदम उठाया था। लेकिन इसका असर कहीं भी देखने को नहीं मिला। हाफिज सईद हमेशा से ही वहां पर खुला घूमता आया है। वही आज भी जारी है।

सभी की लगी निगाह
भारत ने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के दस्तावेज दिए हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि फिलहाल उत्तर कोरिया और ईरान को इस संस्‍था ने ब्लैकलिस्ट में शामिल किया हुआ है। फ्रांस के पेरिस स्थित फाइनें‍नशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को दस्तावेज के जरिए बताया गया है कि किस तरह से पाकिस्तानी एजेंसियां जैश को धन मुहैया करा रही हैं। एफएटीएफ में अभी 35 सदस्य और दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय आयोग एवं खाड़ी सहयोग परिषद हैं।

क्‍या है काली सूची का अर्थ
एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि पाकिस्‍तान धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में असहयोगात्मक रवैया अपना रहा है। यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है तो इससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां भी यही कदम उठा सकती हैं। 

गुमराह करने की कोशिश
पाकिस्तान मामलों के जानकार और वहां आधारित आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार पाक की यह कार्रवाई वैश्विक संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स( एफएटीएफ) की संभावित कार्रवाई से बचने की कवायद का हिस्सा जान पड़ती है। दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ और पाकिस्तान के आतंकी ढांचे पर एक किताब लिख चुकीं फ्रांसेस्का मैरीनो के अनुसार हाफिज सईद के संगठनों पर पाबंदी जिस तरह एफएटीएफ की पेरिस में होने जा रही बैठक के पहले लगाई है उससे यह साफ है कि यह दुनिया को गुमराह करने की कार्रवाई है। उनके अनुसार वह मार्च 2010 में उसके घर जा चुकी हैं और वहां उन्होंने देखा था कि हाफिज सईद आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना की पहरेदारी में ‘नजरबंद’ था। उनके अनुसार हाफिज सईद के संगठनों पर पाकिस्तान की पाबंदी एक मजाक है।पाकिस्तान के सीनेटर और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता फरतुल्ला बाबर ने हाफिज सईद के संगठनों पर पाबंदी को लेकर हैरानी जताते हुए कहा कि क्या किसी को याद है कि इस तरह की पाबंदी कितनी बार लगाई जा चुकी है? सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान अपने यहां के आतंकी ढांचे पर लगाम लगाने को लेकर गंभीर नहीं, इसका पता इससे भी चल रहा है कि मसूद अजहर के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मुखौटा संगठन है जेयूडी
आपको बता दें कि जेयूडी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन है। अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए लश्कर ने इस संगठन का गठन किया था। लश्कर के आतंकियों ने ही 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हमला किया था, जिसमें कई विदेशियों समेत 166 लोग मारे गए थे। अमेरिका ने जून, 2014 में उसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था। अमेरिका ने 2012 में ही एलईटी सरगना हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया था। साथ ही उस पर एक करोड़ डॉलर (70 करोड़ रुपये) का इनाम भी घोषित किया था। दिसंबर, 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत सईद को आतंकियों की सूची में डाला गया था। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने उसे घर में नजरबंद किया था।

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