नसों में बहते खून से बिजली बनाने वाला जनरेटर विकसित
शोधकर्ताओं ने एक मिलीमीटर से भी कम मोटा फाइबर तैयार किया है, जो धमनियों में नमकीन घोल से घिरे होने पर बिजली उत्पन्न करता है।
बीजिंग (पीटीआई)। मानव रक्त को अनमोल कहा गया है। इसे जीवनदाता माना गया है। इसके दान को महादान की संज्ञा दी जाती है। इस बारे में हम लोगों ने स्लोगन भी बहुत सुने और पढ़े हैं। अब मानव रक्त से बिजली भी बनेगी। चीनी वैज्ञानिकों ने शरीर की धमनियों में बहते खून की ऊर्जा को बिजली में बदलने वाला लाइटवेट पावर जनरेटर विकसित कर लिया है।
हजारों वर्षो से लोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए बहते या गिरते जल की ऊर्जा से बिजली तैयार करते आ रहे हैं। अब बहते खून से भी बिजली पैदा की जा सकेगी। इसके लिए चीन के फुडन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक मिलीमीटर से भी कम मोटा फाइबर तैयार किया है, जो पतली ट्यूब या रक्त वाहिका (धमनियों) में नमकीन घोल से घिरे होने पर बिजली उत्पन्न करता है।
इस तरह तैयार किया फाइबर
चीन के वैज्ञानिक द्वारा तैयार किए गए फाइबर के निर्माण का सिद्धांत बेहद आसान है। इसमें कार्बन नैनोट्यूब की एक क्रमबद्ध सारणी लगातार एक पॉलीमरिक कोर के चारों ओर लपेटी जाती है। कार्बन नैनोट्यूब को एक इलेक्ट्रोएक्टिव के रूप में जाना जाता है। इन्हें शीट्स में काता और श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। इलेक्ट्रोएक्टिव धागों में कार्बन नैनोट्यूब शीट्स को आधे माइक्रोन से भी कम मोटाई के फाइबर कोर को लेपित किया जाता है।
120 गुना अधिक बिजली उत्पन्न हुई
वैज्ञानिकों ने रक्तों ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए धागे या फाइबर शेपड फ्लूडिक नैनोजनरेटर (एफएफएनजी) को इलेक्ट्रोड्स से जोड़ा जाता है और इसे बहते पानी या नमकीन घोल में डुबोया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शोध के दौरान एफएफएनजी और घोल के रिलेटिव मोशन के कारण बिजली उत्पन्न हुई। इससे उत्पन्न हुई बिजली की क्षमता अन्य विधियों से पैदा होने वाली बिजली से 20 गुना अधिक थी। चीन के वैज्ञानिकों के मुताबिक, मेडिकल एप्लीकेशंस में इसका प्रयोग खून से बिजली उत्पन्न करने में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने मेंढक की तंत्रिकाओं पर इसकी जांच कर इसकी सफलता की पुष्टि कर दी है।
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