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जानिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और चिनफिंग के बीच हुई बैठक के क्या हो सकते हैं दूरगामी परिणाम

व्हाइट हाउस के रूजवेल्ट रूम और बीजिंग के ग्रेट हाल आफ द पीपल के पूर्वी हाल से दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत की शुरुआत में ही बाइडन ने कहा यह साफ दिख रहा है कि हमें कुछ सामान्य ज्ञान की सीमा तय करनी होगी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 10:30 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 10:30 PM (IST)
जानिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और चिनफिंग के बीच हुई बैठक के क्या हो सकते हैं दूरगामी परिणाम
मंगलवार को जो बाइडन व उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग के बीच हुई पहली वर्चुअल बैठक (फाइल फोटो)

न्यूयार्क टाइम्स, वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन व उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग के बीच हुई पहली वर्चुअल बैठक में आपसी संबंधों को लेकर कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं हुई, जो लगातार खराब होती जा ही है। हालांकि, इस बैठक का यह उद्देश्य भी नहीं था। इसके बावजूद, दोनों नेताओं ने विवादों को सीमा के टकराव में तब्दील नहीं होने देने पर बल दिया है। अगर वे अपनी बातों को व्यवहार में ला सके, तो इसे कूटनीतिक सफलता ही माना जाएगा।

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व्हाइट हाउस के रूजवेल्ट रूम और बीजिंग के ग्रेट हाल आफ द पीपल के पूर्वी हाल से दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत की शुरुआत में ही बाइडन ने कहा, 'यह साफ दिख रहा है कि हमें कुछ सामान्य ज्ञान की सीमा तय करनी होगी।'

चीनी राष्ट्रपति ने दोनों देशों की तुलना बड़े जहाज से की

शी ने बाइडन को अपना पुराना दोस्त बताते हुए एक समुद्री रूपक का इस्तेमाल किया और दोनों देशों की तुलना बड़े जहाज से की। इसके जरिये उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि हवा व जल तरंगों का इस्तेमाल करते हुए बिना टकराए हुए भी दोनों देश एक साथ चल सकते हैं।

हालांकि, इन शब्दों के पीछे कटुता के छिपे होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक के बाद कोई साझा बयान जारी नहीं किया गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि इससे पहले वर्ष 2019 में चिनफिंग व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक के बाद भी कोई साझा बयान जारी नहीं किया गया था।

बता दें कि मंगलवार को हुई वर्चुअल बैठक में बाइडन ने शिनजियांग, तिब्बत व हांगकांग में मानवाधिकार हनन के साथ-साथ उइगरों के नरसंहार का मुद्दा उठाया। इस पर चिनफिंग ने कहा कि चीन आपसी सम्मान के आधार पर मानवाधिकारों पर संवाद के लिए तैयार है, लेकिन हम दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए मानवाधिकारों के इस्तेमाल का विरोध करते हैं।

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