खौफ के खिलाफ जंग है भूपिंदर का आत्मविश्वास
पैसेंजर ट्रेन गुरुवार को जब लुधियाना से फिरोजपुर के लिए आगे बढ़ रही थी। नारी सशक्तीकरण में योगदान जोड़ रही थी। इस ट्रेन की लोको पायलट एक महिला थी भूपिंदर। उनमें दमकता आत्मविश्वास कह रहा था 'बेशक महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है, मगर मैं बेखौफ अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा हूं।'
डी.एल डॉन, लुधियाना। पैसेंजर ट्रेन गुरुवार को जब लुधियाना से फिरोजपुर के लिए आगे बढ़ रही थी। नारी सशक्तीकरण में योगदान जोड़ रही थी। इस ट्रेन की लोको पायलट एक महिला थी भूपिंदर। उनमें दमकता आत्मविश्वास कह रहा था 'बेशक महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है, मगर मैं बेखौफ अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा हूं।'
भूपिंदर कौर की बहन मुंबई में टीटीई के पद पर ही तैनात थीं। इसलिए शुरू से भूपिंदर का सपना भी रेलवे में नौकरी करना था। पढ़ाई के साथ-साथ एथलेटिक्स में नेशनल स्तर तक कई पदक भी जीते। बाद में स्पोर्ट्स कोटे में ही रेलवे में नौकरी मिल गई। फिर क्या था, 2010 में जिंदगी की नई पारी शुरू हुई। पहला मौका मिला डीजल शेड में काम करने का। फिर लोको पायलट बनीं। अब भूपिंदर रोजाना अपनी पैसेंजर ट्रेन के जरिए सैकड़ों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं। भूपिंदर का जज्बेदार फलसफा है 'आज कोई ऐसा काम नहीं जिसे महिलाएं न कर सकें। इरादे मजबूत हों तो हर मुश्किल आसान होगी, मंजिल कदमों में होगी।'
गजब का संतुलन
लुधियाना के गांव आलमगीर की रहने वालीं 36 वर्षीय भूपिंदर कौर ने पटरी पर ट्रेन का संतुलन साधने के साथ घरेलू जिंदगी को भी बराबर संवारे रखा है। पति पुलिस में नौकरी करते हैं और दो बच्चे स्कूल में पढ़ाई। भूपिंदर सुबह बच्चों को स्कूल और पति को नौकरी पर भेजने के बाद स्टेशन के लिए रवाना होती हैं, पूरे उत्साह और वक्त की पाबंदी के साथ।
शताब्दी चलाने का सपना
भूपिंदर का अब बस एक ही सपना है दिल्ली रूट पर शताब्दी जैसी तेज रफ्तार ट्रेन दौड़ाना। इसके लिए पूरी तैयारी कर रही हैं। विश्वास है कि उनका यह सपना जल्द पूरा होगा।
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