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तीन माह के लिए राजनीति से अवकाश : करीम चौधरी

जागरण संवाददाता, उत्तर दिनाजपुर : कांग्रेस के विधायक कन्हैया लाल अग्रवाल को तृकां में शामिल करने पर

By Edited By: Published: Mon, 03 Oct 2016 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2016 08:41 PM (IST)
तीन माह के लिए राजनीति से अवकाश : करीम चौधरी

जागरण संवाददाता, उत्तर दिनाजपुर : कांग्रेस के विधायक कन्हैया लाल अग्रवाल को तृकां में शामिल करने पर पूर्व मंत्री करीब चौधरी ने तृकां सुप्रीमो ममता बनर्जी समेत दल के शीर्ष स्तर के दर्जन भर नेताओं की रुख पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सक्रिय राजनीति से तीन माह के लिए अवकाश लेने का ऐलान किया है। साथ ही नई छत्रछाया में जाने के संकेत भी दिए हैं। वह इस्लामपुर बस टर्मिनल में कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी व प्रदेश तृकां अध्यक्ष सुब्रत बक्सी व सांसद शुभेंदु अधिकारी आदि के रुख पर नाराजगी व्यक्त करने के साथ जिला तृकां अध्यक्ष व विधायक अमल आचार्य व तृकां के उत्तर दिनाजपुर जिला परिषद के सदस्य जावेद अख्तर समेत अन्य कई तृकां के जिला व प्रखंड नेता पर विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए बोले की उन्होंने तृकां सुप्रीमो ममता बनर्जी व प्रदेश तृकां अध्यक्ष सुब्रत बक्सी व सांसद सहित तृकां के जिला पर्यवेक्षक शुभेंदु अधिकारी समेत कई प्रदेश तृकां नेता के सामने कन्हैया लाल को तृकां में शामिल नहीं करने को लेकर अपनी बात रखी। यहां तक समझाने की कोशिश की कि दीपा दासमुंशी व कन्हैया के कारण ही वह तृकां में शामिल हुए। ऐसे में अगर कन्हैया लाल अग्रवाल को तृकां में ली जाएगी तो वह कहां जाएंगे ? कभी उनकी आपत्ति के बाद भी दीपा दासमुंशी ने इस्लामपुर के नगरपाल कन्हैया लाल को बनवा दी थी। इस बीच ममता नया दल बनाने पर ममता के आग्रह पर वे तृकां में शामिल हुए यह बात तृकां सुप्रीमो को भी अच्छी तरह से मालूम है, लेकिन चुनाव हारने के बाद ही पार्टी उनको भूल गई। उन्होंने कहा कि तत्काल वह तीन महीने के लिए सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। आत्म मंथन कर कोई विचार करेंगे। इसके बाद अपनी व्यथा को प्रकअ करते हुए हिंदी फिल्म का एक गाना ऐ मेरे दिल गम की दुनिया से.चल ढूंढ़ ले नया आशियाना सुनाते हुए अपने भविष्य की योजना का संकेत दिया। इस पर पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने किस दल में शामिल होंगे इस पर सीधा जबाव नहीं दिया। उन्होंने कन्हैया लाल को समाजसेवा या राजनीतिक नेता बताने के बजाय स्वार्थी सौदागर बताया। साथ ही कहा कि रुपये व तृकां के कुछ विश्वासघात नेता व कार्यकर्ताओं के बल पर ही वह जीते हैं।


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