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केंद्रीय प्रतिनिधि दल ने लिया मालदा रेशम उद्योग का जायजा

-देशभर के करीब 8 फीसद रेशम का मालदा जिले में होता है उत्पादन -जिले में रेशम उद्योग के साथ प्रत्यक

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 07:36 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 07:36 PM (IST)
केंद्रीय प्रतिनिधि दल ने लिया मालदा रेशम उद्योग का जायजा
केंद्रीय प्रतिनिधि दल ने लिया मालदा रेशम उद्योग का जायजा

-देशभर के करीब 8 फीसद रेशम का मालदा जिले में होता है उत्पादन

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-जिले में रेशम उद्योग के साथ प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े है 59 हजार 94 परिवार

संवाद सूत्र, मालदा : मालदा जिले में वित्त व्यवस्था के मुख्य आधार में आम के बाद रेशम का स्थान आता है। इस रोशम उद्योग का जायजा लेने के लिए केंद्रीय रेशम परिषद के चेयरमैन केएम हनुमनथप्पा दो दिनों के सफर में गुरुवार को मालदा पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय व राज्य रेशम विभाग के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि थे। गुरुवार को यह प्रतिनिधि दल मालदा पहुंचा। गुरुवार को कालियाचक व शुक्रवार को हरिश्चंद्रपुर इलाके के विभिन्न गांवों में रेशम उद्योग का जायजा लिया। साथ ही रेशम किसानों की समस्याओं को लेकर उनके साथ चर्चा की एवं उनकी शिकायतों की जांच का आश्वासन दिया। यह प्रतिनिधि दल कालियाचक के कोकुन मार्केट, शेरसाही बालियाडांगा इलाके के रेशम के धागे का उत्पादन केंद्र व कालियाचक के बागमारा रेशम के कीड़े के अंडों के उत्पादन केंद्रों का जायजा लिया। मालदा जिले के रेशम उत्पादन का इतिहास काफी प्राचीन है। गौड़ के सुल्तान हुसैन शाह के समय से मालदा जिले में रेशम की खेती व उत्पादन शुरू किया। वर्तमान में पूरे देश में करीब 8 फीसद रेशम मालदा जिले में उत्पादित होता है। पूरे राज्य में करीब 60 फीसद रेशम इस जिले में ही उत्पादित होता है। जिले के पंद्रह ब्लाकों में रेशम उत्पादित होता है लेकिन इसका अधिकतर रेशम कालियाचक एक, दो, तीन व हरिश्चंद्रपुर एक व दो नंबर ब्लाक में उत्पादित होता है। जिले में रेशम उद्योग के साथ प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े है 59 हजार 94 परिवार। एक वर्ष में 1275.60 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है। जिसका बाजार कीमत करीब 300 करोड़ है। वर्ष में पांच मौसम में इस जिले में रेशम की खेती होती है। रेशम उत्पादन केंद्रों का जायजा लेने के बाद केंद्रीय रेशम परिषद के चेयरमैन केएन हनुमनथप्पा ने बताया कि मालदा में रेशम की खेती व अन्य उत्पादन से वह खुश हैं। कई क्षेत्रों में किसान पुराने तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। रेशम की खेती कर खुद वित्तीय व सामाजिक स्तर के विकास के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। इसमें रेशम किसान व रेशम उद्यमी लाभान्वित होंगे। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय रेशम परिषद से कुछ परियोजना केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय को भेजा गया है। यह परियोजनाओं को मंजूरी मिलने पर पूरे देश के साथ इस जिले में भी उन्नत किस्म के रेशम के धागे तैयार करने के लिए रिलरों को मल्टी एंड मशीनें दी जाएंगी। 14 लाख रुपये की इस मशीन में 10लाख रुपये का अनुदान रहेगा। बाकी चार लाख रुपये रिलर देंगे। इस वजह से किसान बेहतर किस्म के रेशम के धागे तैयार कर सकेंगे। मालदा के रेशम की खेती देश विदेश के बाजार में और भी बढ़ेगा।


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