संघ संचालित विद्यालयों के पाठ्यक्रमों से महाकाव्यों को हटाने के निर्देश का विरोध
संवाद सूत्र, मालदा : राज्य शिक्षा विभाग ने संघ परिवार संचालित शिशु मंदिरों के पाठ्यक्रमो से रामायण व
संवाद सूत्र, मालदा : राज्य शिक्षा विभाग ने संघ परिवार संचालित शिशु मंदिरों के पाठ्यक्रमो से रामायण व महाभारत जैसे महाकाव्य के अंश हटाने का निर्देश दिया। इस पर विरोध जताते हुए सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षक-शिक्षिकाएं व संचालन समिति के अधिकारियों ने बुधवार को मालदा जिले के विद्यालय निरीक्षक से शिकायत की। जिले के विशिष्ट शिक्षक व सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय संचालन समिति के सचिव गोविंद चंद्र मंडल ने बताया कि संघ परिवार संचालित विद्या विकास परिषद एक ट्रस्ट है। इसके अंतर्गत देश भर में करीब 20 हजार सरस्वती शिशु मंदिर, विवेकानंद शिशु मंदिर, सारदा शिशु तीर्थ जैसे विद्यालय हैं। पश्चिम बंगाल में इस तरह के करीब 700 से 800 विद्यालय है। इस ट्रस्ट के संचालन में राज्य के पठन-पाठन के कार्यक्रम के तहत इन विद्यालयों में न्यूनतम मूल्य पर शिक्षा दी जाती है, चुंकि ये विद्यालय संघ परिवार संचालित है इसलिए अचानक राज्य शिक्षा विभाग ने यह फतवा जारी किया। हमारे विद्यालयों में विभिन्न मनीषियों की जीवनी के बारे में पढ़ाया जाता है, लेकिन मदरसों में किसी भारतीय मनीषी का नाम उच्चारण नहीं किया जाता है। दुनिया में चार महाकाव्य हैं इनमें इलियाड, ओडीसी, रामायण व महाभारत शामिल हैं। ये कोई धर्म ग्रंथ नहीं हैं। इनमें रामायण व महाभारत नहीं आता है। भारत में रहकर भारतीय महकाव्य पाठ्यक्रम में रखा नहीं जाएगा। इस तरह का कानून केंद्र व राज्य सरकार नहीं बना सकता है। इसलिए इस निर्देश का पालन नहीं हो सकता है। देश में सनातनी संस्कृति का अध्ययन होगा। जिस तरह से रामकृष्ण मिशन प्रबंधन ने भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम में रखा है। भाजपा नेता अजय गांगुली ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित हाल ही में पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के परिणाम की वजह से वर्तमान राज्य के सत्तादल आतंकित हो गया है। इस वजह से संघ परिवार घनिष्ठ विभिन्न संस्थाओं पर कई तरह से वार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शिशु मंदिरों में रामायण महाभारत पर पाबंदी का फतवा इसका सबूत है। इस संबंध में मालदा जिला विभाग की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।