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ममता ने निजी अस्पतालों को लगाई कड़ी फटकार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को निजी अस्पतालों व नर्सिगहोम प्रबंधन को जम

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 01:05 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 01:05 AM (IST)
ममता ने निजी अस्पतालों को लगाई कड़ी फटकार
ममता ने निजी अस्पतालों को लगाई कड़ी फटकार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को निजी अस्पतालों व नर्सिगहोम प्रबंधन को जमकर फटकार लगाई। चिकित्सकीय व्यवस्था को लेकर भी खड़ी खोटी सुनाई। निजी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था सुधारने और रोगियों का खर्च घटाने के लिए कड़ा कदम उठाने की घोषणा की। निजी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और आम लोगों को सेवा उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने विधानसभा के अगले सत्र तीन मार्च को रेगुलेटरी बिल लाने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री ने बुधवार को टाउन हाल में महानगर के बड़े व प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों व नर्सिग होम प्रबंधन की बैठक बुलाई थी जिसमें इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूलने को लेकर जमकर फटकार लगाई। सीएम ने स्पष्ट कहा कि यदि सुधार नहीं हुआ तो वैसे निजी अस्पतालों व नर्सिगहोमों का लाइसेंस रद कर देंगे। ममता ने कहा कि निजी अस्पतालों व नर्सिगहोमों के खिलाफ सैकड़ों शिकायतें मिली हैं जिनमें से 942 की जांच की गई है। शिकायतों को लेकर 70 निजी अस्पतालों व नर्सिगहोमों को शोकॉज किया गया है, वहीं 33 अस्पतालों का लाइसेंस रद किया गया है।

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मानव सेवा की दी दुहाई

बैठक में अपोलो, फोर्टिज, सीएमआरआइ, बीएम बिड़ला, आरएन टैगोर, रूबी, मेडिका, वेलब्यू व अन्य बड़े निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक अस्पताल के प्रबंधन से सीधी बातें की और उनके अस्पताल के खिलाफ मिली शिकायत को सार्वजनिक रूप से अवगत कराया। प्रबंधन की भी बातें सुनी और उनके तर्को पर असहमति भी जताई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि ईंट-और लकड़ी बेचने का कारोबार और अस्पताल चलाना एक नहीं है। अस्पताल सेवा की जगह है। किसी की जान बचाने जैसी मानव सेवा है। प्राय: सभी बड़े निजी अस्पतालों को सरकार ने जमीन उपलब्ध कराई है। इसके बावजूद गरीबों को वहां चिकित्सा नहीं मिलती है। इसे अनैतिक ही कहा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम बुखार और पेट में हल्का दर्द होने पर भी कई महंगे टेस्ट लिख दिए जाते हैं।

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बनेगा कड़ा कानून

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं है। निजी अस्पतालों में चिकित्सा खर्च बेहिसाब है। किसी रोगी की मौत हो जाने पर जब तक पूरे रुपये नहीं मिल जाते हैं तब तक परिजनों को शव नहीं सौंपा जाता। इस तरह की गंभीर शिकायतें निजी अस्पतालों के खिलाफ मिली है। यह सब नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री ने 15 फरवरी को सीएमआरआइ में एक किशोरी की मौत को केंद्र कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि चिकित्सा खर्च का बिल अधिक बना दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद किसी को कानून हाथ में लेने की छूट नहीं है। सरकारी या निजी संपत्ति की क्षति पहुंचाने पर दोषियों से क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए कानून बना है। लेकिन चिकित्सा में लापरवाही से रोगी की मौत होती है तो अस्पताल प्रबंधन को भी क्षतिपूर्ति देनी होगी। इस संबंध में सरकार नया कानून बनाएगी व मौजूदा कानून में संशोधन कर क्लिनिकल एस्टैबलिशमेंट कानून को और कड़ा बनाया जाएगा। निजी अस्पतालों पर निगरानी के लिए वेस्ट बंगाल हेल्थ रेगुलेटरी आयोग का गठन होगा, जिसमें सबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे। किसी पूर्व जज की अध्यक्षता में चिकित्सा विशेषज्ञों व संबंधित पक्ष के सदस्यों को लेकर गठित आयोग प्रत्येक माह सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। जो अच्छा काम करेंगे उनको सरकार सहयोग करेगी और जो अच्छा काम नहीं करेंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।

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लाइसेंस रद करने की धमकी

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा खर्च अधिक करने का सबसे अधिक शिकायतें अपोलो को लेकर मिली है। वेलेव्यू में भी खर्च अधिक है। रूबी अस्पताल पर भी अधिक फीस लेने का आरोप है। सरकार 40 हजार करोड़ रुपये कर्ज चुकाने का बोझ लेकर आम जनता को निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करा रही है। सरकार ने स्वास्थ्य साथी जैसी कल्याणकारी बीमा योजना शुरू की है। कुछ बड़े निजी अस्पतालों ने स्वास्थ्य साथी योजना में भागीदारी नहीं की। जब निजी अस्पताल सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में सहयोग नहीं करेंगे तो सरकार भी उनका लाइसेंस रद करने पर विचार कर सकती है। निजी अस्पतालों को किसी भी हालत में रोगी को भर्ती करने से इन्कार करना अब नहीं चलेगा। बात-बात पर खर्च बढ़ाने के लिए रोगी को वेंटिलेशन पर रखने और आइसीयू में रखने की मानसिकता बदलनी होगी। सभी निजी अस्पतालों पर अब ई प्रेसक्रिप्शन अनिवार्य होगा।

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शिशु व किडनी तस्करी बर्दाश्त नहीं

मुख्यमंत्री ने नाम लेकर मेडिका अस्पताल के खिलाफ किडनी तस्करी के बारे में बोल दिया। उन्होंने कहा चिकित्सा सेवा की आड़ में किडनी बेचने का कारोबार करनेवालों पर कड़ी नजर है। इस तरह के अपराध में पकड़ने जाने पर कड़ी सजा भुगतनी होगी। इस पर मेडिका प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि आरोप गलत है। पर, ममता नहीं रूकीं और कह दिया कि पुलिस जांच हो रही है।


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