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लॉकडाउन में शिक्षा के मंदिर ने पेश की मिसाल, कोरोना योद्धाओं को बांटे पीपीई किट, भर रहे भूखों का पेट

बंगाल के हुगली जिले के रिसड़़ा शहर में स्थित राधिका टाउन हाई स्कूल ( एचएस) ने मिसाल पेश की है। लाकडाउन में पिछले दो महीनों से गरीब एवं असहाय लोगों के बीच भोजन और फल बांटे जा रहे है

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 08:19 PM (IST)
लॉकडाउन में शिक्षा के मंदिर ने पेश की मिसाल, कोरोना योद्धाओं को बांटे पीपीई किट, भर रहे भूखों का पेट
लॉकडाउन में शिक्षा के मंदिर ने पेश की मिसाल, कोरोना योद्धाओं को बांटे पीपीई किट, भर रहे भूखों का पेट

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना वायरस के मद्देनजर जारी देशव्यापी लॉकडाउन के चलते इस समय स्कूल- कॉलेज सभी बंद हैं। परंतु लॉकडाउन के बीच बंगाल के हुगली जिले के रिसड़़ा शहर में स्थित राधिका टाउन हाई स्कूल ( एचएस) ने मिसाल पेश की है। इस स्कूल की ओर से लाकडाउन पीरियड में पिछले दो महीनों से गरीब एवं असहाय लोगों के बीच भोजन बांटे जा रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना के अग्रिम पंक्ति के 15 योद्धाओं को स्कूल की ओर से उनकी सुरक्षा के लिए पीपीई किट, मास्क तथा चश्मा भी दिये गये हैं।

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स्कूल के सचिव राम कांत पाठक का कहना है कि कोरोना के इस महामारी में जिस प्रकार से चिकित्सक, स्वास्थ्य एवं सफाई कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमित लोगों की सेवा कर रहे हैं, उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। इन योद्धाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही हम लोगों ने रिसड़ा नगरपालिका के चेयरमैन विजय सागर मिश्रा के हाथों से इलाके में कोरोना के खिलाफ जंग कर रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं को यह सुरक्षा उपकरण देकर उनका सम्मान बढ़ाया है। स्कूल के प्रिंसिपल अलोक पाठक इन दिनों रोजाना अपने सहयोगियों के साथ विद्यालय प्रांगण में अपने हाथों से खाना पकाते हैं और उसी खाने को ले जाकर रिसड़ा तथा श्रीरामपुर स्टेशन पर खुले आसमान में दिन गुजर रहे सैकड़ों गरीबों में बांटते हैं।

ऐसा करने से उन्हें काफ़ी खुशी मिल रही है। अलोक पाठक का कहना है गरीबों को भोजन खिलाने की प्रेरणा उनके पिता रामा कांत पाठक से मिली है। वे 24 मार्च से ही 150 गरीबों को भोजन बनाकर खिला रहे हैं। उनका कहना है कि रोजना सुबह स्कूल प्रांगण में खाना बनाने का काम शुरू किया जाता है। दोपहर के भोजन में चावल, दाल एवं अण्डा कड़ी पकाया जाता है। इसके बाद टोटो पर खाने को लेकर ये लोग रिसड़ा स्टेशन आते हैं। स्टेशन पर रह रहे लोगों का पहले साबुन से हाथ धोया जाता है। उसके बाद यह लोग गरीबों के बीच खाना परोसते हैं। उनके अनुसार, जिस प्रकार स्कूल का खाना खाकर स्टेशन पर दिन गुजर रहे लोगों को तृप्ति मिलती है, उसी तरह खाना खिला कर स्कूल प्रबंधन को भी खुशी का एहसास हो रहा है।

शाम के वक्त इसी प्रकार अलोक अपने पांच सहयोगी संजय दास, प्रदीप राय, देवदत्त भट्टाचार्य, मीरमय चक्रवर्ती तथा अमित साह के साथ खाना लेकर श्रीरामपुर स्टेशन तथा श्रीरामपुर स्थित  घोड़ा मारा अनाथ आश्रम जाया करते हैं।इन दोनों जगहों पर रह  रहे असहाय लोगों एवं अनाथ बच्चों के बीच रात्रि भोजन दी जाती है।


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