एफसीआइ पैसा भुगतान की ले जिम्मेवारी तो बंगाल मुहैया कराएगा चावल
खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का कहना है निगम केंद्र से चावल मुहैया कराने के एवज में पैसों की भुगतान करता है तो राज्य चावल मुहैया कराने को तैयार है।
कोलकाता, [जागरण संवाददाता]। बीते दिनों भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की ओर से राज्य सरकार को लिखी चिट्ठी में कहा गया था कि निगम के पास मिड डे मील व आइसीडीएस के लिए पर्याप्त चावल उपलब्ध नहीं है। चिट्ठी में इस लेकर राज्य सरकार से मदद भी मांगी गई थी।
वहीं, इस पर पश्चिम बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का कहना है कि यदि निगम केंद्र से चावल मुहैया कराने के एवज में पैसों की भुगतान सुनिश्चित करता है तो राज्य चावल मुहैया कराने को तैयार है। यद्यपि मंत्री ने निगम के पास पर्याप्त चावल नहीं होने को लेकर आशंका प्रकट किया है। बुधवार को मंत्री ने आरोप लगाया कि दरअसल राज्य सरकार को परेशानी में डालने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इधर, खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मिड डे मिल व आइसीडीएस के लिए अगले 13 महीने में 46 हजार मैटिक टन चावल की आवश्यकता पड़ेगी। इस बाबत मंत्री ने कहा कि केवल तीन महीने ही नहीं हमारे पास आगे के लिए भी पर्याप्त मात्र में चावल उपलब्ध है। हम चावल उपलब्ध कराने को भी तैयार हैं बशर्ते कि निगम पैसा भुगतान कराने की जिम्मेवारी ले।
उन्होंने कहा कि राज्य में उक्त दोनों योजनाएं बंद हो ऐसा हम नहीं चाहते हो सकता है केंद्र का इस बारे में इरादा अलग हो। मंत्री ने कहा कि सभी जानते हैं कि उक्त दोनों योजनाएं केंद्र सरकार संचालित है और राज्य इसमें मदद करता है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर केंद्र की ओर से पहले से ही इसकी व्यवस्था क्यों नहीं की गई? मल्लिक ने कहा कि केंद्र के पास भंडारण के लिए पर्याप्त मात्र में गोडाउन है बावजूद इसके चावल की किल्लत की दुहाई वाली बात हजम नहीं होती।
उन्होंने कहा कि केंद्र को यदि ऐसा लगता है कि ऐसा करके वे हमें परेशानी में डाल सकते हैं तो ऐसा कतई नहीं होगा क्योंकि हम राज्य के लोगों को हर कीमत पर उनका निवाला उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध हैं। मल्लिक ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि ऐसा राज्य को परेशानी में डालने के उद्देश्य से किया जा रहा है तो मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस मनसूबे में वे कामयाब नहीं होंगे क्योंकि 2011 से ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल में कोई भी भूखा नहीं मरा है।