कलकत्ता हाई कोर्ट ने नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव का विरोध किया
शीर्ष अदालत ने नियुक्ति में देरी से मामलों का अंबार लग जाने के आधार पर इस प्रस्ताव को देश की सेवा करार दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पश्चिम बंगाल सरकार और कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निचली अदालतों के लिए केंद्रीय चयन तंत्र के प्रस्ताव का विरोध किया है। राज्य सरकार ने कहा है कि यह कदम असंवैधानिक है और इससे संघीय ढांचे पर आघात पहुंच सकता है। शीर्ष अदालत ने अपने न्यायिक पक्ष से प्रस्ताव रखा है।
निचली न्यायपालिका में नियुक्ति तंत्र पर आमराय कायम करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने नियुक्ति
में देरी से मामलों का अंबार लग जाने के आधार पर इस प्रस्ताव को देश की सेवा करार दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल एवं जस्टिस यूयू ललित की पीठ से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 233 में कहा गया है कि केवल हाई कोर्ट ही निचली अदालतों के लिए चयन कर सकता है। राज्य सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि
यह प्रस्ताव संविधान के प्रावधानों से परे जाता है। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में जाने की कोई जरूरत नहीं है जो अनिश्चित और अज्ञात है।
कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि एमिकस क्यूरी अरविंद दातार का कंसेप्ट नोट संविधान के अनुच्छेद 233 के विपरीत है। यह संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन करता है। यह देश में हर हाई कोर्ट की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करता है।
दातार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि कलकत्ता, छत्तीसगढ़, सिक्किम, असम, जम्मू एवं कश्मीर, राजस्थान और आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना हाई कोर्ट ने प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराई है। जम्मू एवं कश्मीर के वकील शोएब आलम ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35 ए के कारण प्रस्ताव से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और 21 अगस्त को जारी रह सकती है।