शरद यादव के साथ नए मोर्चे की जुगत में ममता
'साझी विरासत बचाओ कार्यक्रम का ममता ने पुरजोर समर्थन करते हुए कहा, 'मैं शरद यादवजी को दिल्ली में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगी।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से हाथ मिलाकर राज्य में नई सरकार के गठन से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चे के गठन की कवायद को जो धक्का लगा है, उसे भुलाते हुए अब वे नए सिरे से नए मोर्चे की जुगत में हैं। अब उनकी निगाहें जदयू के बागी नेता शरद यादव पर हैं।
शरद यादव की ओर से गुरुवार को दिल्ली में आयोजित किए गए 'साझी विरासत बचाओ कार्यक्रम का ममता ने पुरजोर समर्थन करते हुए कहा, 'मैं शरद यादवजी को दिल्ली में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगी। तृणमूल इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर खुश है। मैं सभी विपक्षी नेताओं से
एकजुट होकर इस आंदोलन में शामिल होने के लिए कहूंगी।Ó गौरतलब है कि शरद यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। उन्होंने इसे सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश काअवसरवादी कदम करार दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त मोर्चे को लेकर ममता को नीतीश कुमार से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन बिहार में जदयू द्वारा लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़कर पुरानी साथी भाजपा से हाथ मिला लेने से वहां के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक हालात काफी बदल गए हैं। इससे सबसे तगड़ा झटका ममता को ही लगा है। राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि ममता के शरद यादव का समर्थन करने एवं उन्हें लेकर नए मोर्चे की कवायद से भी अगले
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक तौर कर खास फायदा होने की संभावना नहीं है।